रिपोर्ट- संजीव कुमार
Bokaro: शहर में सहारा इंडिया से जुड़े कुल 104 मामलों में अब सभी का निस्तारण कर दिया गया है। इसमें 5–6 मामले कमीशन द्वारा खारिज किए गए, जबकि बाकी सभी मामलों में उपभोक्ताओं की प्रार्थनाएँ स्वीकार की गईं।
अब संबंधित उपभोक्ता अपनी राशि प्राप्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित सेंट्रल रजिस्टार के पास आवेदन करेंगे। Bokaro कंज्यूमर कमीशन के डिस्ट्रिक्ट कमीशन सह रिटायर्ड प्रिंसिपल जिला जज जय प्रकाश नारायण पांडे ने जानकारी दी कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत भुगतान प्रक्रिया पूरी होगी।

Bokaro सहारा इंडिया के द्वारा जमा की गई SEBI से जप्त 500 करोड़ रुपए 83 लाख को सुप्रीम कोर्ट ने रिलीज कर सेंट्रल रजिस्टार को सौंप दिया है। अब उपभोक्ता अपने आवेदन ऑर्डर के साथ जमा करेंगे और वहीं से भुगतान प्राप्त करेंगे।
Bokaro जज जय प्रकाश नारायण पांडे ने कहा, “शहर के मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट आदेश पारित किया है। सभी भुगतान सेंट्रल रजिस्टार के माध्यम से ही होंगे। यह प्रक्रिया पारदर्शिता और सुविधा सुनिश्चित करती है। इससे सहारा इंडिया से जुड़े उपभोक्ताओं को अब अपनी राशि आसानी से और सुरक्षित तरीके से प्राप्त करने का मार्ग खुल गया है।
Bokaro: सहारा इंडिया विवाद, मुख्य घटनाक्रम
सहारा इंडिया समूह, जिसे भारत के सबसे बड़े कॉरपोरेट समूहों में से एक माना जाता है, ने वर्षों तक सिक्योरिटीज और इन्वेस्टमेंट के क्षेत्र में विशेष प्रकार की योजनाएँ पेश की। इन योजनाओं में सबसे प्रमुख थे सहारा यूनिट्स, जिन्हें निवेशकों को लुभाने के लिए जारी किया गया था। इन योजनाओं के माध्यम से कंपनी ने करोड़ों निवेशकों से लाखों करोड़ रुपए जुटाए।
Bokaro SEBI और कानूनी विवाद
2008-09 के आसपास, भारतीय सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड (SEBI) ने पाया कि सहारा इंडिया ने सेक्योरिटीज कानूनों का पालन नहीं किया और निवेशकों को योजनाओं के बारे में सही जानकारी नहीं दी। SEBI ने कंपनी पर बड़ी कार्रवाई शुरू की और कहा कि कंपनी को निवेशकों को पूरी राशि ब्याज सहित वापस करनी होगी।
सहारा ने SEBI के आदेशों का पालन करने में देरी की और लंबी कानूनी लड़ाई शुरू हो गई। मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया, जिसने 2012 में स्पष्ट आदेश दिया कि सहारा इंडिया को निवेशकों को भुगतान करना होगा। कोर्ट ने SEBI को निर्देश दिया कि वह निवेशकों की राशि रिकवरी की प्रक्रिया को देखे।
- जप्त राशि और भुगतान प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद SEBI ने सहारा इंडिया की संपत्ति से लगभग 50,000 करोड़ रुपए जप्त किए। बाद में कोर्ट ने इन राशि को सेंट्रल रजिस्टार को सौंपा ताकि भुगतान पारदर्शी और सुरक्षित तरीके से निवेशकों तक पहुंच सके। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि हर निवेशक अपनी योग्य राशि प्राप्त कर सके।
2. विवाद के सामाजिक और आर्थिक असर
सहारा विवाद ने भारत में वित्तीय नियमन की कमियों और निवेशकों के अधिकारों की सुरक्षा के महत्व को उजागर किया। लाखों छोटे निवेशक, जिनमें ज्यादातर मध्यवर्गीय परिवार और वृद्ध लोग शामिल थे, लंबे समय तक अपनी जमा राशि के लिए संघर्ष करते रहे।
3. वर्तमान स्थिति
हाल के समय में सुप्रीम कोर्ट के आदेश और सेंट्रल रजिस्टार के माध्यम से सहारा इंडिया निवेशकों के भुगतान की प्रक्रिया तेज हुई है। कोर्ट के निर्देशों के तहत निवेशकों की राशि का निस्तारण सुरक्षित और पारदर्शी तरीके से किया जा रहा है। अब तक कई मामलों का समाधान हो चुका है और अधिकतर निवेशकों को उनकी योग्य राशि मिलना शुरू हो गई है। सेंट्रल रजिस्टार द्वारा प्रत्येक आवेदन की जांच के बाद भुगतान किया जा रहा है, जिससे छोटे और वृद्ध निवेशकों सहित सभी पात्र लोग धीरे-धीरे अपनी जमा राशि प्राप्त कर रहे हैं। इस प्रक्रिया से निवेशकों का विश्वास भी बहाल हो रहा है।
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