by: vijay nandan
आज यानि 4 दिसंबर 2025 का दिन खगोलीय दृष्टि से बेहद खास है। आज वर्ष 2025 की आखिरी पूर्णिमा के साथ आसमान में एक शानदार सुपरमून दिखाई देगा। दिसंबर की यह चमकीली पूर्णिमा पारंपरिक रूप से कोल्ड मून के नाम से जानी जाती है, जिसे दुनिया भर के लोग देखने के लिए उत्सुक रहते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, आज मार्गशीर्ष पूर्णिमा और अन्नपूर्णा जयंती भी मनाई जा रही है, ऐसे में यह दिन धार्मिक और वैज्ञानिक—दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण है।
क्या है सुपरमून?
जब चंद्रमा अपनी कक्षा में चलते हुए पृथ्वी के सबसे नजदीक पहुँचता है—जिसे पेरीजी (Perigee) कहा जाता है—और उसी समय पूर्णिमा होती है, तब चांद सामान्य दिनों की तुलना में अधिक चमकीला और बड़ा दिखाई देता है। इसे ही सुपरमून कहा जाता है। आमतौर पर एक वर्ष में तीन से चार सुपरमून दिखाई देते हैं। आज दिखने वाला सुपरमून 2025 का अंतिम सुपरमून होगा। अगला सुपरमून अब 2026 में दिखाई देगा।

भारत में सुपरमून कब दिखेगा?
भारत में चांद का उदय सूर्यास्त के बाद शुरू हो जाएगा और पूरी रात आसमान में इसे साफ़ देखा जा सकेगा।
स्पष्ट मौसम वाले इलाकों में यह बेहद चमकीला दिखाई देगा।
जिन स्थानों पर कोहरा, धुंध या बारिश होगी व वहां दृश्यता कम रह सकती है।
लंदन, एडिनबर्ग, कार्डिफ़ और यूरोप के कई अन्य शहरों में भी यह दुर्लभ नज़ारा दिखाई देगा।
क्यों कहा जाता है इसे “Cold Moon”?
दिसंबर की पूर्णिमा को पश्चिमी देशों में कोल्ड मून या लॉन्ग नाइट मून कहा जाता है।
कारण:
दिसंबर में रातें साल की सबसे लंबी होती हैं।
यह महीना अत्यधिक ठंड का प्रतीक होता है।
इस समय चांद लगभग 99.5% चमक के साथ दिखाई दे सकता है।
इसी वजह से दिसंबर की पूर्णिमा को “Cold Moon” का नाम दिया गया है।
नोट: यह जानकारी पारंपरिक मान्यताओं और खगोलीय विवरणों पर आधारित है। किसी भी तथ्य को लागू करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।




