BY; Yoganand Shrivastva
मुंबई: भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने एक सेशंस कोर्ट जज और उसके क्लर्क के खिलाफ रिश्वतखोरी के मामले में एफआईआर दर्ज की है। एसीबी ने कोर्ट क्लर्क को रंगे हाथ 15 लाख रुपये लेते हुए गिरफ्तार किया, जबकि जज को “वांटेड आरोपी” घोषित कर दिया गया है।
रिश्वत का सौदा और गिरफ्तारी
एसीबी के अधिकारियों के अनुसार, सेशंस कोर्ट में पदस्थ जज एजाजुद्दीन एस. काजी के क्लर्क चंद्रकांत वासुदेव ने एक कारोबारी से जमीन विवाद के केस में 25 लाख रुपये की मांग की थी। उसने कहा था कि 10 लाख रुपये खुद के लिए और 15 लाख जज के लिए देने होंगे ताकि फैसला कारोबारी के पक्ष में हो सके। बाद में मोलभाव के बाद रकम 15 लाख तय हुई।
बिजनेसमैन ने 10 नवंबर को एसीबी के वर्ली कार्यालय में इसकी शिकायत की। शिकायत सत्यापित करने के बाद एसीबी ने जाल बिछाया और 11 नवंबर को क्लर्क को पैसे लेते हुए गिरफ्तार कर लिया। अधिकारियों ने बताया कि रिश्वत लेने के तुरंत बाद क्लर्क ने जज को फोन कर सूचित किया था कि “रकम मिल गई है।”
मामला किससे जुड़ा है
यह पूरा प्रकरण मुंबई के बांद्रा इलाके की एक जमीन से जुड़ा है। एक कारोबारी की पत्नी ने 2015 में हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि उसकी जमीन पर अवैध कब्जा हो गया है। चूंकि जमीन की कीमत 10 करोड़ रुपये से कम थी, इसलिए मार्च 2024 में हाई कोर्ट ने यह मामला मजगांव सेशंस कोर्ट को भेज दिया।
9 सितंबर 2025 को केस की सुनवाई के बाद क्लर्क ने कारोबारी को चेंबूर के एक कैफे में बुलाकर रिश्वत की मांग की थी।
जज पर भी FIR, जांच जारी
एसीबी ने क्लर्क चंद्रकांत वासुदेव और जज एजाजुद्दीन काजी दोनों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है। क्लर्क फिलहाल हिरासत में है जबकि जज की तलाश जारी है।
एसीबी का बयान
एसीबी अधिकारियों का कहना है कि यह मामला न्याय व्यवस्था की साख पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। उन्होंने बताया कि रिश्वत की रकम और बातचीत के सभी साक्ष्य जब्त कर लिए गए हैं और जांच तेज़ी से आगे बढ़ रही है।





