BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली: देशभर में आज का दिन एक बड़े विरोध प्रदर्शन का गवाह बना, जब 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और कई किसान-ग्रामीण संगठनों के आह्वान पर भारत बंद आयोजित किया गया। इस आंदोलन में लगभग 25 करोड़ कर्मचारियों और किसानों के शामिल होने का अनुमान है, जिससे देश की कई महत्वपूर्ण सेवाएं प्रभावित हुईं।
कौन-कौन हुआ शामिल?
इस बंद में शामिल होने वालों में बैंकिंग सेक्टर, कोयला और खनन मजदूर, निर्माण श्रमिक, डाक कर्मचारी, बस और रेलवे कर्मचारी, स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोग और ग्रामीण संगठन शामिल हैं। प्रदर्शनकारियों ने सरकार की “कर्मचारी-विरोधी” और “जनविरोधी” नीतियों के खिलाफ एकजुटता दिखाई।
क्या हैं मुख्य मांगें?
ट्रेड यूनियनों और संगठनों ने सरकार के समक्ष कुल 17 मांगें रखी हैं। इन मांगों में न्यूनतम वेतन बढ़ाने, निजीकरण पर रोक लगाने, रोजगार सुरक्षा, श्रम कानूनों में बदलावों को वापस लेने, और किसान विरोधी कानूनों को खत्म करने जैसी प्रमुख बातें शामिल हैं।
बंद से कहां-कहां पड़ा असर?
- बैंकिंग और बीमा सेक्टर में कई शाखाओं में कामकाज ठप रहा।
- रेल सेवाओं में आंशिक रूप से बाधा आई, कुछ जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने रेल रोकने की कोशिश की।
- बस सेवाएं भी कई राज्यों में बाधित रहीं।
- कोयला और इस्पात जैसे क्षेत्रों में उत्पादन प्रभावित हुआ।
- कई राज्यों में सरकारी कार्यालयों और निर्माण परियोजनाओं में भी कार्य रुक गया।
सुरक्षा व्यवस्था रही कड़ी
राज्य सरकारों ने एहतियात के तौर पर सुरक्षा बलों को तैनात किया। कई संवेदनशील इलाकों में पुलिस बल मुस्तैद रहा, ताकि किसी भी तरह की अव्यवस्था न हो।
भारत बंद के ज़रिए ट्रेड यूनियनों और किसानों ने सरकार को यह संदेश देने की कोशिश की है कि देश के मज़दूर, किसान और मध्यम वर्गीय कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर एकजुट हैं और किसी भी प्रकार की जनविरोधी नीति को स्वीकार नहीं करेंगे। अब सबकी निगाहें सरकार की प्रतिक्रिया पर हैं।