नई दिल्ली: लेखाकारों की नुमाइंदगी करने वाला संस्थान ICMAI अब सरकार से अपनी ठान लिया है। इनका कहना है कि नए आयकर विधेयक 2025 में ” लेखाकार” को भी “लेखाकार” की लिस्ट में डालो यार! ये विधेयक 13 फरवरी 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में पेश किया था, जो 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा। मकसद है टैक्स का सिस्टम आसान करना, कोर्ट-कचहरी के चक्कर घटाना और लोगों को खुद टैक्स भरने के लिए जोश दिलाना।
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ICMAI ने सरकार की इस पहल की तारीफ तो की, बोले, “बढ़िया काम है भाई, 60 साल पुराना टैक्स ढांचा अब सुलझेगा।” लेकिन साथ में ये भी जोड़ा, “अरे, हमारे लागत लेखाकारों को भी तो मौका दो! टैक्स के खेल में हम भी बाजी मार सकते हैं।” लोकसभा की चयन समिति को चिट्ठी लिखकर कहा, “हमारे CMA वाले टैक्स, फाइनेंस, ऑडिट, कंपनी कानून और रिस्क मैनेजमेंट में उस्ताद हैं। आयकर, जीएसटी, अकाउंटिंग—सबकी गहराई में उतरते हैं।”
ICMAI का ये भी दावा है कि उनके लोग पहले से ही कंपनी अधिनियम 2013 के तहत अंदरूनी ऑडिट कर रहे हैं। कई राज्यों में तो वैधानिक ऑडिट का जिम्मा भी संभालते हैं। “अब टैक्स ऑडिट में तो बस अकाउंट्स से नंबर उठाकर भरने का काम है, वो तो हमारे लिए बाएं हाथ का खेल है!” ICMAI का मानना है कि अगर इन्हें “लेखाकार” का दर्जा मिल जाए, तो टैक्स सिस्टम में चार चांद लग जाएंगे और सरकार का खजाना भी भरा-भरा रहेगा।
अब देखना ये है कि सरकार इस “देसी उस्तादों” की बात मानती है या नहीं। बाकी, टैक्स का नया नियम सबको चौकन्ना कर रहा है!
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