अंधेरे में बैंगनी रोशनी निकालने वाले ये मशरूम मेघालय (light emitting mushroom in Meghalaya) के बांस के जंगलों में बांस की जड़ों के पास उगते हैं. स्थानीय लोग इसे इलेक्ट्रिक मशरूम (electric mushroom) कहते हैं.
मेघालय के जंगलों में फंगल बायोडाइवर्सिटी पर चल रहे प्रोजेक्ट के दौरान एक काफी अजीबोगरीब मशरूम दिखा, जो रात में चमकता है. वैज्ञानिकों ने इसे रोरिडोमाइसेस फाइलोस्टैचिडिस (Roridomyces phyllostachydis) नाम दिया है. दिन में यह किसी भी साधारण मशरूम की तरह लगता है लेकिन अंधेरा होते ही इससे नीली-हरी रोशनी निकलने लगती है और ये दूर से भी पहचाना जा सकता है. स्थानीय लोग इसे इलेक्ट्रिक मशरूम कहते हैं. सांकेतिक फोटो
मशरूम की खोज असम के एक एनजीओ और चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज ने मिलकर की. ये साथ में नॉर्थईस्ट के चार राज्यों- मेघालय, असम, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में फफूंदीय जैवविविधता पर काम कर रहे थे. इसी दौरान उन्होंने स्थानीय लोगों ने इलेक्ट्रिक मशरूम के बारे में सुना और फिर मेघालय के जंतिया हिल्स और खासी हिल्स के जंगलों में इसकी तलाश की. सांकेतिक फोटो (pixy)
वैज्ञानिकों की टीम लगातार स्थानीय लोगों से मशरूम की अलग-अलग किस्मों के बारे में भी बात करते चल रही थी. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में शोध में शामिल फोटोग्राफर स्टीफन एक्सफोर्ड ने बताया कि हम लगातार पूछते हुए चल रहे थे और एक जगह स्थानीय लोगों ने चमकने वाले मशरूम के बारे में पूछने पर हां में जवाब दिया. बता दें कि स्टीफन लगातार 15 सालों से मशरूम पर शोध कर रहे हैं. सांकेतिक फोटो (Pixabay)
बायोल्यूमिनसेंट यानी शरीर से रोशनी निकालने की प्रवृति वाले कुल 96 मशरूम अब तक दुनियाभर में देखे जा चुके हैं और मेघालय की ये किस्म 97वीं किस्म है. आमतौर पर ये समुद्री वातावरण में मिलते हैं लेकिन जमीन पर भी कई किस्में मिल जाती हैं. रोशनी का रंग कैसा होगा, ये इस बात पर निर्भर करता है कि फंगस या फिर मशरूम के अंदर कैसी रासायनिक प्रवृति है. मेघालय में ये मशरूम बांस के जंगलों में बांस की जड़ों के पास उगते हैं. सांकेतिक फोटो (needpix)