BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली, मंगलवार को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। विपक्ष ने अपने उम्मीदवार के लिए पोलिंग एजेंट नियुक्त कर दिए हैं, जबकि ओडिशा की बीजू जनता दल (BJD) और तेलंगाना की भारत राष्ट्र समिति (BRS) ने मतदान प्रक्रिया से दूरी बनाने का ऐलान किया है।
विपक्ष ने तय किए पोलिंग एजेंट
संयुक्त विपक्ष की ओर से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी हैं। उनकी ओर से सैयद नासिर हुसैन, माणिकम टैगोर और शताब्दी रॉय को पोलिंग एजेंट के रूप में नियुक्त किया गया है।
BJD ने क्यों किया मतदान से किनारा
पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अध्यक्षता वाली बीजेडी ने कहा कि वह राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा-नीत एनडीए और कांग्रेस-नीत INDIA गठबंधन – दोनों से समान दूरी बनाए रखने की अपनी नीति के तहत उपराष्ट्रपति चुनाव में भाग नहीं लेगी।
पार्टी के राज्यसभा में 7 सांसद हैं, जबकि लोकसभा में उसका कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।
बीजेडी सांसद सस्मित पात्रा ने कहा,
“पार्टी अध्यक्ष ने वरिष्ठ नेताओं और राजनीतिक मामलों की समिति से विचार-विमर्श के बाद फैसला किया है कि हमारे सांसद मतदान प्रक्रिया में शामिल नहीं होंगे। हमारा ध्यान राज्य और उसके 4.5 करोड़ नागरिकों के विकास पर केंद्रित है।”
BRS का रुख भी स्पष्ट
तेलंगाना की भारत राष्ट्र समिति (BRS) ने भी मतदान से दूरी का फैसला लिया। पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के. टी. रामाराव (KTR) ने कहा,
“चूंकि उपराष्ट्रपति चुनाव में ‘नोटा’ का विकल्प नहीं है, इसलिए हमने मतदान में भाग न लेने का निर्णय किया।”
लोकसभा में BRS का कोई सांसद नहीं है, जबकि राज्यसभा में इसके 4 सदस्य हैं।
शिवसेना (शिंदे गुट) का बयान
शिवसेना (शिंदे गुट) के सांसद श्रीकांत शिंदे ने कहा कि विपक्षी उम्मीदवार को सांसदों से अपील करनी चाहिए। उन्होंने दावा किया कि मतदान के आंकड़े एनडीए के कुल सदस्यों से भी ज्यादा होंगे।
कब और कहां होगा मतदान
उपराष्ट्रपति चुनाव संसद भवन में मंगलवार को आयोजित होगा। वोटिंग सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक चलेगी। इसमें सत्तारूढ़ एनडीए के उम्मीदवार सी. पी. राधाकृष्णन और विपक्ष के उम्मीदवार जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी के बीच सीधा मुकाबला होगा।
किसे होगा फायदा?
बीजेडी और बीआरएस के मतदान से दूर रहने का फैसला राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकता है।
भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम ने कहा,
“बीजेडी ने हमारे उम्मीदवार का विरोध नहीं किया है, उनका यह फैसला अप्रत्यक्ष रूप से एनडीए को मजबूती देगा।”
वहीं, कांग्रेस नेता भक्त चरण दास ने भी माना कि बीजेडी का यह कदम भाजपा को लाभ पहुंचाने वाला है। उन्होंने कहा,
“यदि बीजेडी वास्तव में भाजपा का विरोध करना चाहती, तो यह उसका मौका था। मतदान से दूर रहना भाजपा के पक्ष में संकेत देता है।”
ध्यान देने वाली बात यह है कि 2012 के उपराष्ट्रपति चुनाव में भी बीजेडी के सांसदों ने मतदान से परहेज किया था।





