अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता लिमिटेड ने वित्त वर्ष 2024-25 में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) को ₹97 करोड़ का राजनीतिक चंदा दिया है। यह रकम पिछले वर्ष की तुलना में लगभग चार गुना अधिक है, जबकि कांग्रेस को मिलने वाला चंदा घटकर सिर्फ ₹10 करोड़ रह गया है। कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है।
📈 BJP को रिकॉर्ड चंदा, कांग्रेस को तगड़ा झटका
वित्त वर्ष 2024-25 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, वेदांता ने विभिन्न राजनीतिक दलों को कुल ₹157 करोड़ का चंदा दिया, जो पिछले वर्ष ₹97 करोड़ था।
प्रमुख दलों को मिला चंदा (FY25):
- भारतीय जनता पार्टी (BJP) – ₹97 करोड़ (FY24 में ₹26 करोड़)
- बीजू जनता दल (BJD) – ₹25 करोड़ (FY24 में ₹15 करोड़)
- झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) – ₹20 करोड़ (FY24 में ₹5 करोड़)
- कांग्रेस (INC) – ₹10 करोड़ (FY24 में ₹49 करोड़)
🔍 नोट: कांग्रेस को चंदे में भारी गिरावट देखी गई, जबकि भाजपा को सबसे अधिक सहयोग मिला।
🏛️ कॉरपोरेट डोनेशन और राजनीति का संबंध
वेदांता लंबे समय से देश की राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने वाली सबसे बड़ी कंपनियों में शामिल रही है।
पिछले वर्षों में चंदा (वित्त वर्ष अनुसार):
- 2022-23: ₹155 करोड़
- 2021-22: ₹123 करोड़
- 2017 से 2022 तक (इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए): ₹457 करोड़
वेदांता ने पांच वर्षों में इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए ₹457 करोड़ दान किए, जो अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा “असंवैधानिक” घोषित किए गए हैं।
⚖️ इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को सुप्रीम कोर्ट ने 2024 में रद्द कर दिया था। यह योजना कंपनियों और व्यक्तियों को बिना पहचान उजागर किए राजनीतिक दलों को असीमित चंदा देने की अनुमति देती थी।
वेदांता की चंदा देने की संरचना:
- जन्हित इलेक्टोरल ट्रस्ट के जरिए
- अन्य कंपनियों के ट्रस्ट जैसे:
- टाटा का प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट
- रिलायंस का पीपल्स इलेक्टोरल ट्रस्ट
- भारती ग्रुप का सत्य इलेक्टोरल ट्रस्ट
- केके बिड़ला ग्रुप का समाज इलेक्टोरल ट्रस्ट
💼 ब्रांड फीस और रणनीतिक सेवा शुल्क
वेदांता ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में बताया कि वह अपने ब्रांड “Vedanta” के इस्तेमाल और रणनीतिक सेवाओं के बदले ब्रांड फीस का भुगतान करती है।
ब्रांड शुल्क से जुड़ी मुख्य बातें:
- Vedanta Resources Investment Ltd (VRIL) को FY25 में कुल भुगतान: ₹2,397 करोड़
(FY24 में ₹2,326 करोड़) - Hindustan Zinc Ltd (HZL) को उपलाइसेंस फीस: HZL के सालाना टर्नओवर का 1.70%
- Ferro Alloy Corporation Ltd (FACOR) को उपलाइसेंस फीस: टर्नओवर का 2.50%
- इन भुगतानों के तहत FY25 में कुल ₹582 करोड़ का खर्च दर्ज किया गया
(FY24 में ₹477 करोड़)
📌 वेदांता की हिस्सेदारी
- Vedanta Resources Ltd की मुंबई सूचीबद्ध Vedanta Ltd में हिस्सेदारी: 56.38%
🔑 निष्कर्ष: राजनीति में कॉरपोरेट फंडिंग का बढ़ता प्रभाव
वेदांता द्वारा भाजपा को चंदे में की गई बड़ी बढ़ोतरी और कांग्रेस को मिले सीमित फंड से यह स्पष्ट होता है कि कॉरपोरेट फंडिंग भारतीय राजनीति में निर्णायक भूमिका निभा रही है।
क्या यह फंडिंग राजनीतिक संतुलन को प्रभावित करती है? क्या पारदर्शिता की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है? ऐसे सवाल अब और ज़्यादा प्रासंगिक हो गए हैं।





