अमेरिका ने भारत से आयात होने वाले सामान पर 50% तक का टैरिफ बढ़ाया है। इसके बाद अब H-1B वीजा और ग्रीन कार्ड प्रक्रिया में भी बड़ा बदलावसाने का फैसला लिया है। यह नई नीति भारतीय पेशेवरों और छात्रों के लिए चौंकाने वाली हो सकती है, क्योंकि H-1B वीजा का लगभग 70% हिस्सा भारतीयों के पास होता है।
H-1B वीजा में हो रहा बड़ा बदलाव
अभी तक H-1B वीजा सालाना 85,000 की लिमिट के साथ लॉटरी सिस्टम पर मिलता था। इसका मतलब था कि किसी भी कंपनी का कर्मचारी भाग्य के आधार पर वीजा प्राप्त करता।
लेकिन अब अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक के मुताबिक:
- वीजा प्रक्रिया को वेतन आधारित बनाया जाएगा।
- उच्च वेतन पाने वाले कर्मचारियों को प्राथमिकता दी जाएगी।
- कम वेतन वाली नौकरियों वाले विदेशी कर्मचारियों के लिए प्रक्रिया कठिन होगी।
इस बदलाव का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि अमेरिका में आने वाले कर्मचारी ज्यादा सक्षम और अच्छे वेतन वाले हों।
गोल्ड कार्ड और ग्रीन कार्ड में बदलाव
ट्रंप प्रशासन एक नया “गोल्ड कार्ड” प्रोग्राम शुरू करने की तैयारी कर रहा है। इसका उद्देश्य:
- अधिक वेतन पाने और मेधावी कर्मचारियों को वरीयता देना।
- ग्रीन कार्ड प्रक्रिया को अधिक सख्त और प्रभावी बनाना।
हालांकि उपराष्ट्रपति जेडी वेंस का कहना है कि गोल्ड कार्ड का मतलब यह नहीं कि व्यक्ति अमेरिका में हमेशा रह सकेगा।
भारतीय पेशेवर और छात्रों पर असर
इस नई नीति का सबसे बड़ा असर भारतीय H-1B वीजा धारकों पर पड़ेगा। विशेष रूप से:
- नए स्नातक और छोटे व्यवसायों में काम करने वाले कर्मचारी।
- वेतन कम होने पर वीजा मिलने की संभावना घट सकती है।
- वीजा आवेदन में बायोमेट्रिक जानकारी, आवास का पता और अतिरिक्त कागजी कार्रवाई जरूरी होगी।
इस बदलाव के साथ वीजा प्रक्रिया और भी जटिल हो जाएगी।
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टैरिफ और H-1B नीति में बदलाव से भारत-अमेरिका के संबंध और भारतीय पेशेवरों के करियर पर असर पड़ेगा। अगर आप H-1B वीजा के लिए आवेदन करने वाले हैं, तो अब योजना बनाना और दस्तावेज तैयार रखना पहले से ज्यादा जरूरी हो गया है।





