BY: MOHIT JAIN
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने सेना में दाढ़ी रखने पर रोक लगा दी है। रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ के आदेश के बाद अमेरिकी सैन्य बलों को 2010 से पहले के अनुशासन मानकों पर लौटने के निर्देश दिए गए हैं। इस फैसले से सिख, मुस्लिम और यहूदी सैनिकों में नाराजगी फैल गई है, क्योंकि अब धार्मिक आधार पर दाढ़ी या पगड़ी रखने की छूट सीमित कर दी गई है।
60 दिन में लागू होगा नया आदेश, धार्मिक छूट खत्म
पेंटागन द्वारा जारी मेमो के अनुसार, सेना की सभी शाखाओं को 60 दिनों में नया नियम लागू करने की योजना बनानी होगी और 90 दिनों में इसे पूरी तरह लागू किया जाएगा। केवल स्पेशल ऑपरेशंस यूनिट्स को अस्थायी छूट मिलेगी, लेकिन उन्हें मिशन से पहले क्लीन-शेव रहना होगा। साथ ही, सेना के अधिकारियों को फिटनेस बनाए रखने का भी निर्देश दिया गया है।
सिख संगठन ने जताया विरोध, कहा – ‘हमारी आस्था पर हमला’
सिख कोएलिशन (The Sikh Coalition) ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया है। संगठन ने कहा कि यह आदेश धार्मिक सैनिकों को हाशिए पर धकेलने वाला कदम है। एक सिख सैनिक ने सोशल मीडिया पर लिखा, “मेरे केश मेरी पहचान हैं।”
सिख, ऑर्थोडॉक्स यहूदी और मुस्लिम सैनिकों का कहना है कि उन्हें अब अपने धर्म और करियर में से एक चुनने की मजबूरी झेलनी पड़ रही है।
अमेरिकी सेना में सिखों का गौरवशाली इतिहास

अमेरिकी सेना में सिख सैनिकों की सेवा का इतिहास सौ साल से अधिक पुराना है। 1917 में भगत सिंह थिंड पहले सिख सैनिक बने, जिन्हें पगड़ी पहनने की अनुमति मिली थी। 2010 में दो सिख अधिकारियों को धार्मिक छूट मिलने के बाद 2017 में सभी धार्मिक प्रतीकों की अनुमति दी गई थी।
अब ट्रंप सरकार के नए आदेश ने उस परंपरा को फिर से चुनौती दी है।
ट्रंप प्रशासन का यह फैसला अमेरिकी सेना में अनुशासन की वापसी के नाम पर लिया गया है, लेकिन इससे धार्मिक स्वतंत्रता पर नई बहस छिड़ गई है।