by: vijay nandan
जोहान्सबर्ग: पहली बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सदस्यता विस्तार के ठहराव पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेहद तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि वैश्विक मंच पर बदलते समीकरणों के बीच यूएनएससी में सुधार अब कोई वैकल्पिक कदम नहीं, बल्कि अत्यावश्यक आवश्यकता बन चुका है।
इब्सा शिखर सम्मेलन में उठी सुधार की मजबूत मांग
जोहान्सबर्ग में आयोजित इब्सा (भारत-ब्राजील-दक्षिण अफ्रीका) नेताओं के शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि वर्तमान समय में जब दुनिया कई ध्रुवों में बंटी हुई नजर आती है, ऐसे में इब्सा साझेदारी एकता, सहयोग और मानवता का सशक्त संदेश दे सकती है। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा और ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा की उपस्थिति में मोदी ने तीनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग मजबूत करने के लिए इब्सा एनएसए-स्तरीय बैठक को संस्थागत रूप देने का सुझाव भी रखा।

उन्होंने कहा कि यूएनएससी सुधार पहले केवल एक प्रस्तावना जैसा था, लेकिन अब यह वैश्विक जरूरत बन गया है। इसे और टाला नहीं जा सकता।
आतंकवाद पर दोहरे मानदंडों को लेकर सख्त संदेश
प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद को लेकर वैश्विक समुदाय को एक स्वर में काम करने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि आतंकवाद जैसे गंभीर मसले पर दोहरे मापदंड की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका को मजबूत समन्वय के साथ आगे बढ़ना होगा।
डिजिटल सहयोग पर भारत का बड़ा प्रस्ताव
मानव-केंद्रित विकास में प्रौद्योगिकी की भूमिका पर जोर देते हुए पीएम मोदी ने तीनों देशों के बीच डिजिटल नवाचार को साझा करने के लिए ‘इब्सा डिजिटल इनोवेशन अलायंस’ बनाने का प्रस्ताव दिया। उन्होंने यूपीआई, कोविन, साइबर सुरक्षा मॉडल और महिलाओं की तकनीकी नेतृत्व वाली पहलों को साझेदारी का आधार बनाने की बात कही।
इब्सा समूह का उद्देश्य
इब्सा का उद्देश्य विकासशील देशों के बीच सहयोग को गहरा करना, दक्षिण-दक्षिण साझेदारी को मजबूत करना और वैश्विक शासन प्रणालियों में सुधार के प्रयासों को आगे बढ़ाना है।





