BY: Yoganand Shrivastva
नागपुर: लंबे समय तक जेल में रहने के बाद अंडरवर्ल्ड डॉन अरुण गवली को आज नागपुर सेंट्रल जेल से रिहा कर दिया गया। हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत मंजूर की है। जेल से रिहाई के बाद गवली नागपुर एयरपोर्ट पहुंचे और वहां से मुंबई के लिए रवाना हुए।
जेल में सुरक्षा के कड़े इंतजाम
गवली की रिहाई के दौरान जेल परिसर में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए थे। उनके परिवार के सदस्य और रिश्तेदार भी मौजूद थे। सुरक्षा के मद्देनजर जेल में ATS की टीम भी तैनात रही।
राजनीतिक सफर
अरुण गवली ने 2004 में मुंबई की एक विधानसभा सीट से विधायक के रूप में भी राजनीति में कदम रखा था। उन्हें 2012 में शिवसेना पार्षद कमलाकर जमसांदेकर की हत्या के मामले में मुंबई सत्र न्यायालय ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके बाद उन्हें नागपुर जेल में भेजा गया था।
अरुण गवली का जीवन परिचय
अरुण गवली का जन्म 17 जुलाई 1955 को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के कोपरगांव में हुआ। उनका परिवार मध्यमवर्गीय था। उनके पिता गुलाबराव पहले मजदूरी करते थे और बाद में मुंबई की सिम्पलेक्स मिल में काम करने लगे। उनकी मां लक्ष्मीबाई गृहिणी थीं। आर्थिक कठिनाइयों के कारण गवली ने मैट्रिक के बाद पढ़ाई छोड़ दी और कम उम्र में काम करना शुरू कर दिया।
अंडरवर्ल्ड में करियर
1980 और 1990 के दशक में गवली मुंबई अंडरवर्ल्ड का एक प्रमुख नाम बन गए। सेंट्रल मुंबई के दगड़ी चॉल क्षेत्र में उनका गैंग सक्रिय था और उनका नाम काफी चर्चित था। 1980 के दशक में उन्होंने दाऊद इब्राहिम के साथ भी काम किया, लेकिन 1988 में रामा नाइक की हत्या के बाद दोनों के बीच दुश्मनी शुरू हो गई।
राजनीति में कदम
1990 के दशक में बढ़ते गैंगवार और पुलिस के दबाव के चलते गवली ने राजनीति की ओर रुख किया। उन्होंने अखिल भारतीय सेना (ABS) नामक पार्टी बनाई और 2004 में चिंचपोकली विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर विधायक बने।