BY: Yoganand Shrivastva
कीव/वॉशिंगटन: यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने अमेरिका द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाने के फैसले का समर्थन किया है। उनका कहना है कि रूस के साथ व्यापार जारी रखने वाले देशों पर दबाव बनाना ज़रूरी है ताकि मॉस्को की युद्ध अर्थव्यवस्था को कमजोर किया जा सके। जेलेंस्की पहले भी कई बार कह चुके हैं कि रूस तेल और गैस की बिक्री से युद्ध के लिए संसाधन जुटा रहा है।
अमेरिकी चैनल ABC न्यूज से बातचीत में जेलेंस्की से पूछा गया कि शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भारत, रूस और चीन के एक साथ आने से क्या अमेरिका का भारत पर टैरिफ लगाने का कदम उल्टा पड़ सकता है। इस पर उन्होंने कहा, “अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप जानते हैं कि रूस को कैसे रोका जा सकता है। पुतिन की सबसे बड़ी ताकत उसका तेल और गैस का व्यापार है। इस ताकत को कमजोर करना होगा।”
हालिया हमलों के बाद रूस पर बढ़ा दबाव
3 सितंबर को रूस ने यूक्रेन पर रातभर में 500 से अधिक ड्रोन और कई मिसाइलों से हमला किया था। इन हमलों का मुख्य निशाना यूक्रेन का ऊर्जा ढांचा था। यूक्रेनी वायुसेना के अनुसार, पश्चिमी और मध्य इलाकों पर किए गए हमलों में कम से कम पांच लोग घायल हुए।
राष्ट्रपति जेलेंस्की ने आरोप लगाया कि रूस सर्दियों से पहले यूक्रेन के ऊर्जा संसाधनों को निशाना बनाकर उसकी जनता को परेशान करने की रणनीति अपना रहा है। उन्होंने कहा कि हाल के महीनों में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता प्रयासों के बावजूद रूस के हमले कम नहीं हुए हैं।
युद्धविराम प्रस्ताव और कूटनीतिक प्रयास
जेलेंस्की ने ट्रंप के युद्धविराम प्रस्ताव और पुतिन के साथ आमने-सामने शांति वार्ता के विचार को स्वीकार किया था, लेकिन क्रेमलिन ने इस पर आपत्ति जताई। इस बीच, SCO सम्मेलन के दौरान पुतिन ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की।
वॉशिंगटन का दावा है कि उत्तर कोरिया रूस को हथियार और गोला-बारूद मुहैया करा रहा है, जबकि चीन और भारत रूसी तेल की खरीद से उसकी अर्थव्यवस्था को अप्रत्यक्ष रूप से सहारा दे रहे हैं।
“रूस पर दबाव की कमी उसे युद्ध जारी रखने के लिए प्रोत्साहित कर रही”
जेलेंस्की ने टेलीग्राम पर लिखा, “पुतिन दुनिया के सामने अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन यह केवल युद्ध अर्थव्यवस्था पर पर्याप्त दबाव न डालने की वजह से संभव हो पा रहा है। रूस को रोकने के लिए सख्त और ठोस कदम उठाने होंगे।





