BY: Yoganand Shrivastva
अनूपपुर : मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले के अमरकंटक से गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर एक हृदयविदारक घटना सामने आई है। भिंड निवासी 22 वर्षीय भजन गायक राज भदौरिया, जो कि अध्यात्म के प्रति समर्पित एक युवा साधक थे, गुरुवार शाम नर्मदा नदी के रामघाट में स्नान करते समय हादसे का शिकार हो गए। शाम करीब 5:30 बजे के आसपास उनका पैर नदी के बीच बने फव्वारे की रेलिंग में फंस गया, जिससे वे पानी में ही फंस गए और डूबकर उनकी मृत्यु हो गई।
हादसे की पूरी घटना
जानकारी के अनुसार, राज भदौरिया अपने बड़े भाई अर्जुन भदौरिया और जीजा के साथ अमरकंटक पहुंचे थे। तीनों मिलकर घाट पर स्नान कर रहे थे। इसी दौरान राज और अर्जुन नदी के बीच बने फव्वारे तक पहुंच गए। नहाने के दौरान अचानक राज का पैर फव्वारे की लोहे की रेलिंग में फंस गया और वह बाहर नहीं निकल पाए। पानी का बहाव और रेलिंग का जाल इतना जटिल था कि लोग चाहकर भी उन्हें समय रहते नहीं निकाल सके।
बचाव के प्रयास लेकिन नहीं मिली राहत
घटना होते ही वहां मौजूद श्रद्धालुओं ने शोर मचाया और बचाव प्रयास शुरू हुए। वाटर बोट की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। स्थानीय निवासी कृष्णा पाल चौहान की मदद से राज को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, अमरकंटक ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
पुलिस ने मामला दर्ज कर मर्ग कायम कर लिया है, और घटनास्थल का पंचनामा तैयार कर जांच शुरू कर दी गई है।
एक उभरता कलाकार, असमय चला गया
राज भदौरिया, भिंड जिले के बालनपुर गांव के निवासी थे। वे अमरकंटक स्थित एक आश्रम में शिष्य के रूप में अध्यात्मिक जीवन जी रहे थे। वे न केवल एक समर्पित साधक थे, बल्कि भजन गायन में एक उभरते कलाकार के रूप में सोशल मीडिया पर पहचान बना रहे थे।
स्थानीय लोगों और आश्रम के अन्य शिष्यों के अनुसार, राज मृदुभाषी, अनुशासित और आध्यात्म के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित युवा थे। उनके स्वभाव और भजन गायकी की सराहना हर जगह होती थी।
सोशल मीडिया पर अंतिम संदेश: ‘अकेले हैं चले आओ…’
राज सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय थे। उन्होंने हादसे से एक दिन पहले ही इंस्टाग्राम पर एक वीडियो रील अपलोड की थी, जिसमें वे रामघाट पर बैठकर ‘अकेले हैं चले आओ, जहां हो तुम…’ गा रहे थे। वीडियो में वे भावपूर्ण अंदाज़ में गाते हुए नजर आ रहे हैं, और उनके साथ एक साथी ढोलक पर संगत कर रहा है।
अब यह वीडियो उनकी असामयिक मृत्यु के बाद और भी भावुक कर देने वाला प्रतीत होता है, मानो उन्होंने अनजाने में अपनी अंतिम रचना के रूप में यह गीत रिकॉर्ड किया हो।
गुरु पूर्णिमा पर उमड़ा था जनसैलाब, हादसे ने पसारा मातम
गुरु पूर्णिमा जैसे शुभ दिन पर अमरकंटक में हजारों श्रद्धालु एकत्रित हुए थे। नर्मदा घाट पर पूरे दिन भजन, पूजन और स्नान चल रहा था। इसी श्रद्धा के माहौल में हुए इस हादसे ने सबको झकझोर दिया। हादसे के बाद घाट पर मातम छा गया। लोगों की आंखों में आंसू थे और राज के अचानक चले जाने पर शोक और सन्नाटा फैल गया।
जिम्मेदारी तय करने की जरूरत
घटना ने प्रशासन पर भी सवाल खड़े किए हैं। नदी के बीच बने फव्वारे तक श्रद्धालु कैसे पहुंचे, रेलिंग में सुरक्षा की क्या व्यवस्था थी, क्या चेतावनी चिन्ह लगे थे या नहीं—इन तमाम सवालों पर प्रशासन को जवाब देना होगा।
यदि घाटों पर सुरक्षा मानकों का पालन होता, रेलिंग सुरक्षित होती या पर्याप्त गार्ड तैनात होते, तो शायद एक होनहार जीवन बच सकता था।
श्रद्धांजलि और आगे की कार्रवाई
राज की मृत्यु की खबर आश्रम और उनके गांव दोनों जगह शोक की लहर ले आई है। श्रद्धालुओं, उनके चाहने वालों और संगीत प्रेमियों ने सोशल मीडिया पर राज को भावभीनी श्रद्धांजलि दी है।
पुलिस ने शव का पोस्टमॉर्टम करवा कर परिजनों को सौंप दिया है। स्थानीय प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं और घाटों पर सुरक्षा मानकों की समीक्षा भी की जा रही है।