BY: Yoganand Shrivastva
भारत के कई राज्यों में जुलाई और अगस्त महीनों में रिकॉर्ड तोड़ बारिश के बाद भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने सितंबर में भी सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान जताया है। विभाग के अनुसार सितंबर 2025 में औसत मासिक वर्षा 167.9 मिमी के दीर्घकालिक औसत से करीब 109% अधिक हो सकती है। अधिकांश क्षेत्रों में सामान्य या उससे अधिक बारिश की संभावना है, जबकि पूर्वोत्तर, पूर्वी भारत, दक्षिणी प्रायद्वीपीय हिस्सों और उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ इलाकों में कम वर्षा होने के आसार हैं।
बाढ़ और भूस्खलन का खतरा
IMD प्रमुख मृत्युंजय महापात्र के मुताबिक उत्तराखंड में भारी बारिश से नदियों का जलस्तर बढ़ सकता है, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ और भूस्खलन का खतरा है। उन्होंने दिल्ली, हरियाणा और उत्तर राजस्थान के लिए भी चेतावनी दी है कि सामान्य जीवन पर इसका असर पड़ सकता है।
मानसून वापसी में देरी
महापात्र ने बताया कि राजस्थान से मानसून की वापसी की सामान्य तारीख अब 1 सितंबर से बढ़ाकर 17 सितंबर कर दी गई है, जो सितंबर में बढ़ी हुई बारिश का संकेत है।
जून से अगस्त तक बारिश का रिकॉर्ड
IMD के आंकड़ों के अनुसार 1 जून से 31 अगस्त के बीच देशभर में 743.1 मिमी वर्षा हुई, जो औसत 700.7 मिमी से लगभग 6% अधिक है।
- जून: 180 मिमी वर्षा, सामान्य से 9% अधिक।
- जुलाई: 294.1 मिमी, सामान्य से 5% ज्यादा, मध्य भारत में 22% अधिक।
- अगस्त: 268.1 मिमी, सामान्य से 5.2% अधिक।
उत्तर-पश्चिम भारत में अगस्त में 265 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जो 2001 के बाद सबसे अधिक और 1901 के बाद 13वीं सबसे ज्यादा है। दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत में अगस्त में 250.6 मिमी वर्षा हुई, जो सामान्य से 31% अधिक है। यह 2001 के बाद तीसरी और 1901 के बाद आठवीं सबसे अधिक बारिश रही।
बाढ़ और प्राकृतिक आपदाओं का असर
इस मानसून सीजन में पंजाब में दशकों बाद भीषण बाढ़ आई, जिसने हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि को डुबो दिया। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में बादल फटने और भूस्खलन से बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ। विशेषज्ञों का कहना है कि पश्चिमी विक्षोभों के सक्रिय रहने से मानसून को अतिरिक्त ऊर्जा मिली, जिससे देश के कई हिस्सों में असामान्य रूप से ज्यादा बारिश दर्ज की गई।





