सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सोशल मीडिया पर प्रसारित सामग्री को नियंत्रित करने के लिए अपने प्रस्तावित दिशानिर्देशों पर रिकॉर्ड पेश करने का आदेश दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि ये दिशानिर्देश न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी (NBSA) के परामर्श से तैयार किए जाएं। सरकार को इस मामले की अगली सुनवाई तक, नवंबर तक समय दिया गया है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का व्यवसायीकरण
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया पर प्रभावशाली लोग अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का व्यवसायीकरण करते हैं। इनके कमेंट्स और पोस्ट समाज के विभिन्न वर्गों की भावनाओं को प्रभावित कर सकते हैं, जिसमें दिव्यांग, महिलाएं, बच्चे, वरिष्ठ नागरिक और अल्पसंख्यक शामिल हैं।
दिशानिर्देशों पर कार्यवाही
जज सूर्यकांत और जज जॉयमाल्या बागची की पीठ ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वे पॉडकास्ट और अन्य ऑनलाइन शो सहित सोशल मीडिया पर आचरण के नियमों पर राष्ट्रीय प्रसारकों और डिजिटल एसोसिएशन के परामर्श से दिशानिर्देश तैयार करें।
अधिवक्ता निशा भंभानी ने सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए कोर्ट को बताया कि इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और समाज में विभिन्न समुदायों के सम्मान के बीच संतुलन बनाए रखना है।
समय रैना मामले की सुनवाई
कोर्ट ने सोशल मीडिया हास्य कलाकार समय रैना के खिलाफ सुनवाई की, जिन्होंने विकलांग व्यक्तियों के बारे में असंवेदनशील चुटकुले पोस्ट किए। अदालत ने इसे ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग’ बताया।
जज बागची ने कहा,
“जब आप अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का व्यवसायीकरण कर रहे हैं, तो समाज के कुछ वर्गों की भावनाओं को ठेस नहीं पहुँचनी चाहिए।”
जज कांत ने भी कहा कि असंवेदनशील चुटकुले दिव्यांग व्यक्तियों को मुख्यधारा में लाने के संवैधानिक उद्देश्य को पूरी तरह प्रभावित करते हैं।
संवेदनशीलता का सम्मान अनिवार्य
जज बागची ने बताया कि हास्य जीवन का अहम हिस्सा है, लेकिन हल्केपन के नाम पर संवेदनशीलता का हनन नहीं होना चाहिए। जज कांत ने कहा कि दिशानिर्देश ऐसे बनाए जाएं कि उल्लंघनों के निश्चित परिणाम सामने आएं, जिससे कोई जिम्मेदारी से बच न सके।
“अदालत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को रोकना नहीं चाहती, बल्कि यह सुनिश्चित करना चाहती है कि अभिव्यक्ति और आहत करने वाले भाषण के बीच स्पष्ट सीमा बनी रहे।”
सोशल मीडिया यूजर्स को जिम्मेदार बनाना
केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने कोर्ट को बताया कि प्रस्तावित दिशानिर्देशों का मुख्य उद्देश्य सोशल मीडिया यूजर्स को संवेदनशील और जिम्मेदार बनाना है। उल्लंघन करने पर यूजर्स को जिम्मेदारी उठानी होगी।
यह खबर भी पढें: अमेरिका ने भारत पर लगाया 25% अतिरिक्त टैरिफ, ट्रंप बोले- चीन के साथ बेहतर संबंध होंगे
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश सोशल मीडिया पर समान्य नियमों के निर्माण, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और समाज की संवेदनशीलता के संतुलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। NBSA के परामर्श से तैयार होने वाले दिशानिर्देश डिजिटल मीडिया की विश्वसनीयता और सामाजिक जिम्मेदारी सुनिश्चित करेंगे।





