सुप्रीम कोर्ट में लगी कांच की दीवार को लेकर इन दिनों जबरदस्त बहस चल रही है। वजह है — ₹2.68 करोड़ का खर्च, और फिर उसी दीवार को हटवा देना। यह फैसला न सिर्फ टैक्सपेयर्स के पैसों की बर्बादी की तरह देखा जा रहा है, बल्कि न्यायपालिका की नीति-स्थिरता पर भी सवाल उठा रहा है। इस विवाद के केंद्र में हैं तीन चीफ जस्टिस — डीवाई चंद्रचूड़, संजीव खन्ना और बीआर गवई। आइए जानते हैं इस सुप्रीम कोर्ट कांच की दीवार विवाद की पूरी पड़ताल।
🏛️ कांच की दीवार क्यों लगाई गई थी?
नवंबर 2022 में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट परिसर को आधुनिक रूप देने की दिशा में कई पहलें की थीं। उन्हीं में से एक थी — कोर्ट नंबर 1 से 5 तक के गलियारे में कांच की दीवारें लगाना।
- उद्देश्य: सेंट्रलाइज्ड एयर कंडीशनिंग को प्रभावी बनाना
- प्रस्ताव: कोर्ट परिसर को ज्यादा आरामदायक और आधुनिक बनाना
- खर्च: दीवारें लगाने में ₹2.5 करोड़ से अधिक का खर्च आया
- ठेका मिला: बीएम गुप्ता एंड सन्स को, CPWD की ई-टेंडरिंग से चयन
Image Alt Text: सुप्रीम कोर्ट कांच की दीवार विवाद
👨⚖️ वकीलों और बार असोसिएशन का विरोध
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) और एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड्स असोसिएशन (SCAORA) ने इस बदलाव का कड़ा विरोध किया।
मुख्य आपत्तियां:
- गलियारे की चौड़ाई घट गई
- भीड़भाड़ और अव्यवस्था बढ़ी
- वकीलों से कोई सलाह नहीं ली गई
- सिर्फ प्रशासनिक निर्णय पर अमल किया गया
➡️ SCBA ने आरोप लगाया कि इस तरह का बदलाव बिना stakeholders से संवाद किए जबरन थोप दिया गया।
🔄 फिर क्यों हटाई गईं ये दीवारें?
2024 में डीवाई चंद्रचूड़ के रिटायरमेंट के बाद जब जस्टिस बीआर गवई ने 51वें CJI के रूप में कार्यभार संभाला, तब इस मुद्दे पर निर्णायक कदम उठाया गया।
जून 2025 का फुल कोर्ट फैसला:
- सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों की बैठक में सर्वसम्मति से तय किया गया कि कांच की दीवारें हटाई जाएं
- शीशे हटाने पर आया ₹8.63 लाख का अतिरिक्त खर्च
- अब गलियारा फिर से अपने ऐतिहासिक स्वरूप में बहाल कर दिया गया है
🧾 कुल खर्च:
लगवाने पर ₹2.5 करोड़ + हटवाने पर ₹8.63 लाख = ₹2.68 करोड़
🌀 क्या ये सिर्फ दीवार का विवाद है?
बिलकुल नहीं। इस विवाद के पीछे कई बड़े सवाल छिपे हैं:
1. न्यायपालिका की नीति-निरंतरता पर प्रश्न
हर CJI के साथ बदलाव लाना और फिर नए CJI द्वारा उसे पलटना — यह परंपरा संसाधनों की बर्बादी और स्थिरता की कमी दर्शाती है।
2. टैक्सपेयर्स के पैसे की जिम्मेदारी
जब फैसले बिना दीर्घकालिक सोच और परामर्श के लिए जाते हैं, तो इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है।
3. लॉजिस्टिक और प्रशासनिक असफलता
दीवार लगाने और हटाने की प्रक्रिया यह भी दर्शाती है कि सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्था में भी प्रभावी संवाद और सर्वसम्मति की कमी हो सकती है।
🧾 सुप्रीम कोर्ट का लोगो भी बदला गया और फिर पलटा गया
यह पहला मौका नहीं है जब CJI चंद्रचूड़ के फैसले को पलटा गया हो। उनके कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट का लोगो भी बदला गया था, जिसे बाद में जस्टिस गवई ने पुराने रूप में बहाल कर दिया।





