उत्तर प्रदेश के बिजनौर से एक रूह कंपा देने वाली खबर सामने आई है। यहां 6 साल की मासूम बच्ची पर आवारा कुत्तों के झुंड ने जानलेवा हमला कर दिया। बच्ची को मुंह में दबाकर एक किनारे ले गए और नोच-नोचकर उसकी जान ले ली।
यह कोई पहली घटना नहीं है। देशभर में stray dog attacks लगातार चिंता का कारण बन रहे हैं। स्कूल जाते बच्चे, खेलते मासूम और पार्क में टहलते बुजुर्ग — कोई भी इनके निशाने से अछूता नहीं है।
यह सिर्फ एक डरावनी घटना नहीं, बल्कि हमारी सामाजिक जिम्मेदारी और सार्वजनिक सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा करती है।
क्यों बढ़ रहे हैं आवारा कुत्तों के हमले?
1. डर, भूख और सुरक्षा की भावना
डॉग ट्रेनर पुष्पेंद्र सिंह जादौन बताते हैं कि आवारा कुत्ते तीन मुख्य कारणों से आक्रामक होते हैं:
- भूख: खाने की कमी उन्हें हिंसक बना देती है।
- डर: इंसानों से खराब अनुभव (जैसे मारना या डराना) उन्हें उकसाते हैं।
- इलाका बचाने की प्रवृत्ति: अपने क्षेत्र में बाहरी व्यक्ति को देखकर वे हमला कर सकते हैं।
2. झुंड में होने की ताकत
जब कुत्ते झुंड में होते हैं तो उनका आत्मविश्वास और आक्रामकता बढ़ जाती है। अकेला कुत्ता शायद पीछा करके रुक जाए, लेकिन झुंड हमला करने से नहीं कतराता।
3. रेबीज और दूसरी बीमारियां
बीमार कुत्ते (खासकर जिन्हें रेबीज हो) ज्यादा आक्रामक होते हैं। ये इंसानों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं।
मौसम भी बना सकता है उन्हें ज्यादा खतरनाक
गर्मी और बरसात में कुत्तों का व्यवहार और भी असंतुलित हो जाता है:
- गर्मी में:
- पानी और छांव की कमी
- शरीर में थकावट और चिड़चिड़ापन
- झुंझलाहट बढ़ने से आक्रामक प्रतिक्रिया
- बरसात में:
- स्किन इंफेक्शन और खुजली
- गीले शरीर में बेचैनी
- चोट या घाव के कारण गुस्सा
इसलिए यह जरूरी है कि हम इन मौसमों में अतिरिक्त सतर्कता बरतें।
पेरेंट्स कैसे रखें अपने बच्चों को सुरक्षित?
बच्चों को बचाना पूरी तरह से अभिभावकों की सतर्कता पर निर्भर करता है। डॉग ट्रेनर के अनुसार, पेरेंट्स इन बातों का विशेष ध्यान रखें:
बच्चों को सिखाएं:
- कुत्तों को चिढ़ाना, पत्थर फेंकना या डराना खतरनाक हो सकता है।
- यदि कुत्ता दिखे तो दौड़ें नहीं, शांत रहें।
- अकेले गलियों में खेलने न जाएं, खासकर जब कुत्ते झुंड में हों।
खुद रहें सतर्क:
- आस-पास यदि कोई कुत्ता आक्रामक व्यवहार करे, तो तुरंत स्थानीय प्रशासन या नगर निगम को सूचित करें।
- बच्चों के स्कूल जाने या खेलने के समय साथ चलें या निगरानी रखें।
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आंकड़ों की नजर में खतरा
बीते एक साल में हजारों डॉग बाइट केस रिपोर्ट हुए हैं। इसका मतलब साफ है — यह कोई इक्का-दुक्का घटना नहीं, बल्कि एक गंभीर सामाजिक और प्रशासनिक संकट है।
डर के बजाय जागरूकता जरूरी
कुत्तों के प्रति नफरत नहीं, लेकिन सावधानी और समझ जरूरी है। हम सबकी जिम्मेदारी है कि:
- कुत्तों के प्रति संवेदनशील रहें लेकिन लापरवाही से बचें।
- सरकार और प्रशासन पर नियंत्रण के लिए दबाव बनाएं।
- खुद भी जागरूक बनें और अपने बच्चों को सतर्कता की शिक्षा दें।





