BY: Yoganand Shrivastava
सिवनी, मध्य प्रदेश — मध्य प्रदेश में एक चौंकाने वाला घोटाला सामने आया है जिसे लोग अब “सांप घोटाला” कह रहे हैं। इस संगठित भ्रष्टाचार में एक ही व्यक्ति को बार-बार सर्पदंश (सांप के काटने) से मृत दिखाया गया और सरकार से करोड़ों रुपये की मुआवजा राशि फर्जी दस्तावेजों के जरिए हड़प ली गई।
इस घोटाले ने न सिर्फ प्रशासनिक मशीनरी की पोल खोली है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि मध्य प्रदेश में सरकारी योजनाओं के पैसे आखिर जा कहां रहे हैं?
घोटाले की मुख्य बातें
- एक ही व्यक्ति को 30 बार सांप के काटने से मरा बताया गया।
- सरकारी रिकॉर्ड में मृतकों की संख्या: 47
- 11.26 करोड़ रुपये का सरकारी धन हड़पा गया।
- 231 करोड़ रुपये सरकार ने दो वर्षों में सांप काटने से मौत पर बांटे।
- एक आरोपी गिरफ्तार, जबकि 46 अन्य पर कार्रवाई लंबित।
कैसे हुआ घोटाला?
सरकार द्वारा घोषित नीति के तहत सांप के काटने से मौत पर 4 लाख रुपये मुआवजा दिया जाता है। इस नीति का फायदा उठाकर कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों ने फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र, बिना पुलिस वेरिफिकेशन, और बिना पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बिल पास करवा लिए।
कुछ उदाहरण:
- रमेश नामक व्यक्ति को 30 बार अलग-अलग दस्तावेजों में मृत घोषित कर 1.20 करोड़ रुपये की ठगी की गई।
- रामकुमार को 19 बार मृत दिखाकर 81 लाख रुपये निकाले गए।
IFMS सिस्टम में हुई हेराफेरी
घोटाले में उपयोग हुआ IFMS (Integrated Financial Management System) — एक ऐसा सॉफ्टवेयर जो शासन की वित्तीय प्रक्रियाओं को डिजिटली ट्रैक करता है।
लेकिन इसमें:
- फर्जी दस्तावेज़ अपलोड कर,
- अधिकारियों की लॉगिन आईडी का दुरुपयोग कर,
- और कई बार एक ही रिकॉर्ड को संशोधित कर
फर्जी भुगतान पास करवा लिए गए।
कौन-कौन आरोपी?
- मुख्य आरोपी: सचिन दहायक (सहायक ग्रेड 3)
- सह-आरोपी: 46 अन्य कर्मचारी और अधिकारी
जिनमें शामिल हैं:- तत्कालीन SDM अमित सिंह
- 5 तहसीलदार
- कोषालय कर्मचारी
आरोप:
- पहचान वाले लोगों के खातों में सीधे पैसा ट्रांसफर करना
- एक ही मौत के कई बार बिल बनवाना
- IFMS प्रणाली को गुमराह करना
कब और कैसे हुआ खुलासा?
- घोटाला 2019 से 2022 के बीच हुआ।
- यह कमलनाथ सरकार में शुरू हुआ और शिवराज सरकार में जारी रहा।
- इसका पर्दाफाश जबलपुर संभाग की वित्त विभाग की विशेष जांच टीम ने किया।
- रिपोर्ट सौंपी गई सिवनी कलेक्टर को, जो आगे की कार्रवाई करेंगे।
सियासत भी गरमाई
कांग्रेस का हमला:
“एक आदमी को 30 बार सांप काट गया, और प्रशासन को भनक तक नहीं लगी? अगर एक जिले में 11 करोड़ का घोटाला हुआ, तो पूरे राज्य का क्या हाल होगा?”
– जीतू पटवारी, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष
बीजेपी का जवाब:
“हमारी सरकार में भ्रष्टाचार के लिए कोई जगह नहीं है। जैसे ही मामला सामने आया, जांच शुरू कर दी गई। किसी भी दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा।”
जानिए क्यों है ये मामला गंभीर?
- यह घोटाला सिर्फ वित्तीय गबन नहीं, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था की विफलता का प्रमाण है।
- तीन स्तरों पर बिल वेरीफिकेशन के बावजूद किसी ने सवाल नहीं उठाया — यह संगठित भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है।
- यदि 231 करोड़ रुपये दो साल में मुआवजा बांटा गया, और उसमें 11 करोड़ का घोटाला केवल एक जिले में हुआ, तो पूरे प्रदेश में कितने घोटाले हुए होंगे?