by: vijay nandan
भोपाल: हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल शरद पूर्णिमा सोमवार, 6 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि माना जाता है कि मां लक्ष्मी इसी रात पृथ्वी पर आती हैं और अपने भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है और उसकी रोशनी में अमृत के समान ऊर्जा बरसती है। इस दिन व्रत रखने और विधिवत पूजा करने से घर में खुशहाली, धन और सुख-शांति बनी रहती है।

नारद पुराण की मान्यता
धार्मिक ग्रंथों में वर्णन है कि शरद पूर्णिमा की रात मां लक्ष्मी उल्लू की सवारी कर पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं। इसीलिए घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाकर माता का स्वागत करना शुभ माना जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी विशेष रूप से उन लोगों पर कृपा करती हैं जो श्रद्धा और भक्ति से उनका पूजन करते हैं।
भगवान कृष्ण और महारास की कथा
शास्त्रों के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात ही भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन में गोपियों के साथ दिव्य महारास रचाया था। माना जाता है कि इस दौरान भगवान ने प्रत्येक गोपी के साथ नृत्य करने के लिए अनेक रूप धारण किए। यह रासलीला प्रेम, भक्ति और आनंद का अद्वितीय प्रतीक मानी जाती है।
समुद्र मंथन से हुआ मां लक्ष्मी का अवतरण
मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय मां लक्ष्मी का प्रकट इसी दिन हुआ था। यही कारण है कि शरद पूर्णिमा को लक्ष्मी पूजन का दिन विशेष महत्व रखता है।
खीर रखने की परंपरा
शरद पूर्णिमा की सबसे खास परंपरा है खुले आसमान के नीचे खीर रखना। ऐसा विश्वास है कि इस रात चांदनी अमृत बरसाती है। इस रोशनी में रखी खीर खाने से सेहत अच्छी रहती है, रोग-बीमारियां दूर होती हैं और सौभाग्य बढ़ता है। अगले दिन सुबह यह खीर प्रसाद के रूप में ग्रहण की जाती है।

शरद पूर्णिमा केवल धार्मिक आस्था का पर्व ही नहीं, बल्कि समृद्धि, स्वास्थ्य और शुभ फल देने वाला दिन है इसलिए इस बार 6 अक्टूबर की रात घर-आंगन को दीपों से सजाइए, मां लक्ष्मी की पूजा कीजिए और चांदनी रात की खीर प्रसाद रूप में जरूर ग्रहण करें।
क्या आप चाहेंगे कि मैं इसके लिए SEO फ्रेंडली टाइटल + डिस्क्रिप्शन + हैशटैग्स भी बना दूँ ताकि यह आर्टिकल वेब पोर्टल/YouTube पर ज्यादा लोगों तक पहुँचे?