BY: Yoganand Shrivastva
जबलपुर: संस्कारधानी कहे जाने वाले जबलपुर का सबसे बड़ा मुक्तिधाम गौरी घाट इन दिनों बदहाली की मार झेल रहा है। एक वायरल वीडियो ने इस श्मशान घाट की दर्दनाक हकीकत सामने ला दी, जहां बारिश के दौरान अंतिम संस्कार करने आए परिजन भीगते हुए चिताओं के पास खड़े दिखे। टपकते टीन शेड और फर्श पर जमा पानी के बीच, किसी तरह मृतकों की अंतिम विदाई दी जा रही है।
बारिश में बिगड़े हालात, चिता तक जलाना हुआ मुश्किल
गौरी घाट मां नर्मदा के किनारे स्थित है और यहां प्रतिदिन औसतन 10-15 अंतिम संस्कार होते हैं। लेकिन बरसात के मौसम में यहां की स्थिति बेहद खराब हो जाती है। शेड से पानी टपकता है, लकड़ियाँ भीग जाती हैं और चिता के पास खड़ा रहना भी मुश्किल हो जाता है।
स्थानीय नागरिक आशीष मिश्रा ने बताया कि कई बार तेज बारिश के कारण चिता की राख बह जाती है, जिससे अंतिम क्रिया अपूर्ण रह जाती है। भीगती लकड़ियों से किसी तरह आग लगाई जाती है।
करोड़ों के बजट में नहीं मिला सम्मान की अंतिम छांव
परिजनों का कहना है कि नगर निगम का बजट करोड़ों में होता है, लेकिन इंसान की अंतिम यात्रा को गरिमा देने के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए। कुछ महीने पहले घाट पर जीर्णोद्धार के नाम पर लाखों खर्च किए गए थे, लेकिन हालात जस के तस हैं। लोगों ने नगर निगम पर भ्रष्टाचार और लापरवाही के आरोप लगाए हैं।
निगम ने माना हालात खराब, सुधार का वादा
नगर निगम के जोन प्रभारी पवन श्रीवास्तव ने मुक्तिधाम की हालत को लेकर माफी जताई और कहा कि चारों शेड की हालत वाकई खराब है। उनके अनुसार, कुछ समय पहले इन्हें बदलने का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन वह प्रक्रिया अधूरी रह गई। अब नए टीन शेड लगाने के लिए डीपीआर तैयार कर ली गई है और जल्दी ही काम शुरू कर दिया जाएगा।
यह दृश्य सिर्फ एक श्मशान घाट का नहीं, बल्कि उस सोच का आइना है जो मृतकों की गरिमा की अनदेखी करती है। जबलपुर जैसे शहर में, जहां परंपराएं और संस्कृति की जड़ें गहरी हैं, वहां अंतिम संस्कार के लिए भी सम्मानजनक सुविधा न होना एक गंभीर प्रशासनिक विफलता है।