
Isa Ahmad
रायगढ़ जिले के तमनार क्षेत्र में औद्योगिक विस्तार और कोयला खदानों के खिलाफ ग्रामीणों का विरोध तेज हो गया है। घने जंगलों और उपजाऊ भूमि से घिरे इस आदिवासी बाहुल क्षेत्र में लगातार औद्योगिक गतिविधियों के चलते ग्रामीणों का जीवन प्रभावित हो रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि उनकी आजीविका खेती और वनोपज पर निर्भर है, लेकिन खनन कार्यों से न केवल उनकी जमीन छिन रही है, बल्कि पर्यावरण और जलस्रोत भी प्रदूषित हो रहे हैं।
इसी विरोध के चलते सोमवार को ग्राम पंचायत नूनदरहा के दर्जनों ग्रामीण जिला मुख्यालय पहुंचे और कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में ग्रामीणों ने साफ तौर पर कहा कि “बनाई कोल ब्लॉक” के लिए पिछले 10 वर्षों से भू-अर्जन की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन स्थानीय निवासियों को इसका कोई ठोस लाभ नहीं मिला। उल्टा उनकी जमीन और आजीविका दोनों खतरे में हैं।
ग्रामीणों ने कंपनियों के भू-अर्जन पर रोक लगाने की मांग की
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि एनटीपीसी, जेएसडब्ल्यू जैसी कंपनियों के लिए चल रही भू-अर्जन प्रक्रिया को तत्काल निरस्त किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में किसी भी कंपनी को उनकी जमीन नहीं दी जानी चाहिए। ग्रामीणों ने दोहराया कि उनका विरोध किसी राजनीतिक उद्देश्य से नहीं है, बल्कि अपने जंगल, जमीन और जल को बचाने की लड़ाई है।
ग्रामीणों का कहना है कि वे वर्षों से इस भूमि पर खेती और वनोपज के सहारे जीवन यापन कर रहे हैं। यदि खदानें बढ़ती रहीं तो उनकी संस्कृति, आजीविका और पर्यावरण सब नष्ट हो जाएगा। प्रशासन ने ज्ञापन प्राप्त कर मामले पर विचार का आश्वासन दिया है, लेकिन ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे आंदोलन जारी रखेंगे।