हिंदी भाषा विवाद के बीच, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव का उल्लेख करते हुए भाषा सीखने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति जितनी ज्यादा भाषाएं सीखता है, उसके विकास के रास्ते उतने ही व्यापक होते हैं।
🔹 त्रिभाषा फॉर्मूले पर बढ़ती बहस और दक्षिण भारत की भूमिका
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत प्रस्तावित त्रिभाषा फॉर्मूले पर देश के कई राज्यों में विवाद छिड़ा है। विशेष रूप से तमिलनाडु, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में हिंदी को थोपने के आरोप केंद्र सरकार पर लगाए जा रहे हैं।
लेकिन आंध्र प्रदेश इस पूरे विवाद में संतुलित दृष्टिकोण रखता दिखा है। चंद्रबाबू नायडू ने इस अवसर पर अपने विचार साझा करते हुए पीवी नरसिम्हा राव का उदाहरण प्रस्तुत किया — जो 17 भाषाएं जानते थे।
🔹 पीवी नरसिम्हा राव: बहुभाषी नेता की प्रेरणादायक कहानी
पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव भारत के ऐसे पहले दक्षिण भारतीय नेता थे जिन्होंने प्रधानमंत्री का पद संभाला। वे ना सिर्फ एक सफल राजनेता थे, बल्कि 17 भाषाओं के ज्ञाता भी थे — जिनमें 11 भारतीय और 6 विदेशी भाषाएं शामिल थीं।
🔸 वे कौन-कौन सी भाषाएं जानते थे?
- भारतीय भाषाएं: तेलुगु (मूल भाषा), हिंदी, उर्दू, तमिल, मराठी, कन्नड़, बंगाली, संस्कृत, गुजराती, ओडिया
- विदेशी भाषाएं: अंग्रेज़ी, फ्रेंच, जर्मन, स्पेनिश, अरबी, फ़ारसी
➡️ उन्होंने कई तेलुगु और मराठी साहित्य का हिंदी अनुवाद भी किया। यह उनकी भाषाओं में रुचि और ज्ञान की गहराई को दर्शाता है।
🔹 चंद्रबाबू नायडू का बयान: “नरसिम्हा राव से सीखें”
मुख्यमंत्री नायडू ने अपने बयान में कहा:
“आजकल लोग पूछते हैं कि हिंदी क्यों सीखनी चाहिए? पीवी नरसिम्हा राव ने न सिर्फ हिंदी सीखी बल्कि 17 भाषाओं में दक्षता हासिल की। यही वजह है कि वे एक महान नेता बन सके।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि राव एक स्वतंत्रता सेनानी, छात्र नेता, और दूरदर्शी प्रशासक थे जिन पर तेलुगु समाज को गर्व है।
🔹 हिंदी में लालकिले से दिए भाषण
प्रधानमंत्री बनने के बाद पीवी नरसिम्हा राव ने लालकिले से हिंदी में देश को संबोधित किया — जो उनके हिंदी ज्ञान और राष्ट्र के प्रति सम्मान को दर्शाता है।
इसके अलावा उन्होंने विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों (गृह, विदेश, रक्षा) में भी बेहतरीन कार्य किया और आर्थिक उदारीकरण की नींव रखी।
🔹 भाषा ज्ञान ही बनाता है ‘महान’
चंद्रबाबू नायडू का यह बयान इस संदेश को मजबूत करता है कि भाषा कोई दीवार नहीं, बल्कि विकास का पुल है। जब एक नेता 17 भाषाएं सीख सकता है और देश को आगे ले जा सकता है, तो युवा पीढ़ी को भी बहुभाषी बनने की प्रेरणा लेनी चाहिए।
📌 निष्कर्ष: क्या हमें भी नरसिम्हा राव से प्रेरणा लेनी चाहिए?
बिलकुल! पीवी नरसिम्हा राव भाषाओं का ज्ञान न सिर्फ उनकी राजनीतिक सफलता का कारण बना, बल्कि उन्होंने दिखाया कि भाषा सीखना राष्ट्र को जोड़ता है, तोड़ता नहीं।
आज जब देश में भाषा को लेकर खींचतान चल रही है, हमें नरसिम्हा राव से प्रेरणा लेकर सभी भाषाओं को समान सम्मान देना चाहिए।