गुरुग्राम से लेकर पंचकूला और यमुनानगर तक गूंजी शहीद जवानों के साहस की गाथा, अधिकारियों ने पुष्प चक्र अर्पित कर किया नमन
रिपोर्ट- अनुज पांचाल, कुलदीप सैनी, एडिट- विजय नंदन
हरियाणा: देशभर में सोमवार, 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस पूरे सम्मान और श्रद्धा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर शहीद जवानों के बलिदान को याद करते हुए पुलिस अधिकारियों ने शहीद स्मारकों पर पुष्पचक्र अर्पित किए और दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी।
1959 में लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में चीन की सेना से मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए 10 बहादुर पुलिसकर्मियों की याद में हर वर्ष 21 अक्टूबर को यह दिवस मनाया जाता है।

गुरुग्राम में पुलिस कमिश्नर ने किया नमन
गुरुग्राम पुलिस लाइन में पुलिस स्मृति दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किया गया, जहां पुलिस कमिश्नर विकास अरोड़ा ने पुलिस बल के अमर शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
इस दौरान उन्होंने कहा कि “हम अपने शहीदों को याद करते हैं, उनके बलिदान से प्रेरणा लेते हैं और समाज के दुश्मनों से बेख़ौफ़ लड़ते रहेंगे।” कार्यक्रम में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, कर्मी और शहीदों के परिजन उपस्थित रहे। सभी ने पुष्पचक्र अर्पित कर शहीद जवानों को नमन किया।
पंचकूला में डीजीपी ओ.पी. सिंह ने किया शहीदों का सम्मान
हरियाणा के पुलिस महानिदेशक ओ.पी. सिंह ने पंचकूला पुलिस लाइन में आयोजित समारोह में ‘पुलिस शहीद स्मारक’ पर पुष्पचक्र अर्पित कर 191 अमर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। डीजीपी सिंह ने कहा कि “पुलिसकर्मियों की शहादत को बहुत बड़ा माना जाता है। जब कोई जवान ड्यूटी के दौरान बलिदान देता है, तो उसके परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है। ऐसे में हमारा कर्तव्य है कि हम उस परिवार के साथ मजबूती से खड़े रहें।”
उन्होंने बताया कि हरियाणा पुलिस शहीद जवानों के परिजनों को सरकारी नौकरी और एक करोड़ रुपये तक की आर्थिक सहायता देती है ताकि उनके परिवार को सम्मानजनक जीवन मिल सके। डीजीपी सिंह ने आगे कहा कि “जो लोग हिंसा को तरक्की का जरिया मानते हैं, वे सभ्यता के शत्रु हैं। हमारी नीति स्पष्ट है ‘जैसे को तैसा’। न्याय और सुरक्षा के लिए हर संभव कार्रवाई की जाएगी।”
यमुनानगर में पुलिस अधीक्षक ने शहीदों की गाथा सुनाई
यमुनानगर पुलिस लाइन में भी पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। एसपी कमलदीप गोयल ने शहीद स्मारक पर पुष्पचक्र अर्पित करते हुए कहा कि “शहीदों की चिताओं पर हर वर्ष लगेंगे मेले, वतन पर मरने वालों का यही निशां होगा।”
उन्होंने जिले के सात वीर सपूतों की गाथा सुनाई, जिन्होंने अपने कर्तव्य का पालन करते हुए प्राणों की आहुति दी थी। कार्यक्रम में पुलिस शहीदों के परिवारों को सम्मानित किया गया और पूरे सम्मान के साथ दो मिनट का मौन रखा गया।
21 अक्टूबर 1959 को भारत-तिब्बत सीमा पर लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में चीनी सैनिकों ने सीआरपीएफ के जवानों पर घात लगाकर हमला किया था, जिसमें 10 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। उनकी याद में वर्ष 1960 से हर साल यह दिवस पुलिस स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। यह दिन न केवल उन शहीदों को याद करने का प्रतीक है जिन्होंने अपनी जान देश के लिए कुर्बान की, बल्कि यह सभी पुलिसकर्मियों को कर्तव्य, साहस और बलिदान की प्रेरणा भी देता है।