by: vijay nandan
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 सितंबर को मणिपुर का दौरा करने वाले हैं। मई 2023 में राज्य में हिंसा भड़कने के बाद से विपक्ष लगातार यह मांग करता रहा है कि प्रधानमंत्री खुद वहाँ की स्थिति का जायज़ा लें। इस बीच, केंद्र सरकार ने शांति बहाली के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। इनमें उग्रवादी संगठनों के साथ हुए समझौते और नेशनल हाइवे-2 को खोलने का समझौता शामिल है। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री की यात्रा से राज्य में शांति प्रक्रिया को गति मिलेगी।
मणिपुर में हिंसा की पृष्ठभूमि
मणिपुर हाईकोर्ट ने 27 मार्च 2023 को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने से जुड़ा एक आदेश जारी किया था। इसके बाद मैतेई और कुकी समुदायों के बीच तनाव बढ़ा। मैतेई राज्य की घाटी में बहुसंख्यक हैं, जबकि कुकी समुदाय पहाड़ी इलाकों में रहता है। कुकी संगठनों को आशंका थी कि अगर मैतेई को जनजातीय दर्जा मिल गया तो उनका राजनीतिक और भूमि अधिकार और कमज़ोर हो जाएगा। इसी विवाद ने धीरे-धीरे हिंसक रूप ले लिया।

दो बड़े समझौते
- एसओओ समझौता:
केंद्र सरकार ने कुकी नेशनल ऑर्गेनाइजेशन (KNO) और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (UPF) जैसे प्रमुख उग्रवादी संगठनों के साथ ‘सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस’ (एसओओ) समझौते को नवीनीकृत किया है। इसके तहत दोनों संगठन और उनसे जुड़े अन्य छोटे गुट एक साल तक सुरक्षा बलों की कार्रवाई से सुरक्षित रहेंगे, लेकिन उन पर लगातार निगरानी रखी जाएगी। समझौते की शर्तों के अनुसार—- सभी कैडरों का सत्यापन होगा और उन्हें पहचान पत्र दिए जा सकते हैं।
- हथियार सुरक्षा बलों के पास जमा कराने होंगे।
- छोटे-छोटे शिविरों को मिलाकर बड़े शिविर बनाए जाएंगे ताकि निगरानी आसान हो।
- कैडरों को बाहर निकलने पर स्थानीय पुलिस को सूचना देनी होगी।
- नेशनल हाइवे-2 को खोलना:
केंद्र सरकार ने कुकी-जो काउंसिल के साथ बातचीत कर इंफाल-दीमापुर को जोड़ने वाले NH-2 को फिर से खोलने पर सहमति बनाई है। यह सड़क मणिपुर की जीवनरेखा मानी जाती है और इसके खुलने से क्षेत्र में आवाजाही आसान होगी।
सरकार की सख्त शर्तें
गृह मंत्रालय ने साफ किया है कि सभी संगठन मणिपुर की भौगोलिक अखंडता का सम्मान करेंगे। इसके अलावा, संवेदनशील इलाकों से सात शिविर हटाने और हथियार जमा करने पर भी सहमति बनी है। सरकार की योजना है कि कैडरों के बैंक खातों में ही उनका पारिश्रमिक पहुंचे और किसी भी विदेशी तत्व की पहचान होते ही कार्रवाई की जाए।
विरोध और सवाल
मैतेई सिविल सोसाइटी संगठनों ने कुकी उग्रवादियों के साथ हुए समझौते की आलोचना की है। उनका कहना है कि इससे राज्य के विभाजन की मांग को बल मिल सकता है। वहीं कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री की प्रस्तावित यात्रा को “सांकेतिक” बताते हुए सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि तीन घंटे की यात्रा से इतने लंबे समय से जूझ रहे राज्य के लोगों को क्या संदेश मिलेगा।