अभिनेता रणवीर सिंह और अक्षय खन्ना पर FIR की मांग
by: vijay nandan
PakistanNews: भारतीय फिल्म ‘धुरंधर’ को लेकर पाकिस्तान में विवाद गहराता जा रहा है। कराची की एक अदालत में शुक्रवार को फिल्म के खिलाफ याचिका दायर की गई है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि फिल्म में पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के झंडे और पार्टी रैलियों से जुड़े दृश्य बिना अनुमति के दिखाए गए हैं। यह याचिका pakistan peoples party कार्यकर्ता मोहम्मद आमिर द्वारा कराची के डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस कोर्ट (साउथ) में दाखिल की गई है। याचिकाकर्ता का दावा है कि फिल्म में PPP को आतंकवाद का समर्थन करने वाली पार्टी के रूप में दर्शाया गया है, जिससे पार्टी और देश की छवि को नुकसान पहुंचा है।
PakistanNews: बिना अनुमति फुटेज इस्तेमाल का आरोप
याचिका के अनुसार, फिल्म के आधिकारिक ट्रेलर और अन्य दृश्यों में दिवंगत नेता बेनजीर भुट्टो की तस्वीरों के साथ पाकिस्तान और PPP के झंडों का प्रयोग किया गया है। इसके अलावा कराची के लियारी इलाके को आतंकवाद से जुड़ा क्षेत्र दिखाया गया है, जिसे याचिकाकर्ता ने भ्रामक और मानहानिकारक बताया है।
फिल्म में अक्षय खन्ना द्वारा निभाए गए किरदार रहमान डकैत को PPP से समर्थन मिलने वाला दिखाया गया है, जिस पर भी आपत्ति जताई गई है।

PakistanNews: FIR दर्ज करने की मांग
याचिका में फिल्म से जुड़े निर्देशक, निर्माता और कलाकारों के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की गई है। इसमें रणवीर सिंह, संजय दत्त, अक्षय खन्ना, अर्जुन रामपाल, आर. माधवन, सारा अर्जुन, निर्देशक आदित्य धर और निर्माता लोकेश धर सहित अन्य नाम शामिल हैं।

मोहम्मद आमिर का कहना है कि उन्होंने पहले पुलिस से शिकायत की थी, लेकिन कार्रवाई न होने के कारण अदालत का रुख करना पड़ा।
PakistanNews: खाड़ी देशों में रिलीज पर भी असर
फिल्म को लेकर विवाद का असर मिडिल ईस्ट में भी देखने को मिला है। ‘धुरंधर’ को बहरीन, कुवैत, कतर, ओमान, सऊदी अरब और यूएई में रिलीज की अनुमति नहीं मिली है। बताया जा रहा है कि फिल्म को इन देशों में पाकिस्तान विरोधी कंटेंट वाला माना गया है।

बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन
विवादों के बावजूद ‘धुरंधर’ भारतीय बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन कर रही है। रिलीज के आठ दिनों के भीतर फिल्म ने 200 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर लिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक अब तक फिल्म करीब 240 करोड़ रुपये की कमाई कर चुकी है। आदित्य धर के निर्देशन में बनी यह फिल्म एक भारतीय खुफिया एजेंट की कहानी पर आधारित है, जो आतंकवादी नेटवर्क में घुसपैठ करता है। फिल्म में वास्तविक घटनाओं से प्रेरित तत्वों को भी दर्शाया गया है, जिसकी वजह से इसे दर्शकों का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है।
क्या पाकिस्तान भारतीय फिल्म निर्माताओं के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है?
कानूनी स्थिति और राजनीतिक संदेश की पड़ताल
अंतरराष्ट्रीय कानून क्या कहता है?
अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत किसी देश की अदालत को दूसरे देश के नागरिकों या वहां बनी फिल्मों पर सीधे आपराधिक कार्रवाई का अधिकार तभी होता है, जब मामला अंतरराष्ट्रीय अपराध (जैसे आतंकवाद, युद्ध अपराध) से जुड़ा हो या दोनों देशों के बीच कोई प्रत्यर्पण/कानूनी समझौता मौजूद हो। भारत और पाकिस्तान के बीच ऐसा कोई सक्रिय समझौता नहीं है, जिससे पाकिस्तान की अदालत भारतीय फिल्म निर्माता, निर्देशक या कलाकारों के खिलाफ कार्रवाई करा सके।
पाकिस्तानी अदालत की याचिका का वास्तविक दायरा
कराची की अदालत में दायर याचिका का प्रभाव मुख्य रूप से पाकिस्तान की सीमा तक सीमित है। अधिकतम स्थिति में पाकिस्तानी कोर्ट फिल्म पर देश में प्रतिबंध लगाने, ट्रेलर/फुटेज हटाने या प्रतीकात्मक नोटिस जारी करने जैसे निर्देश दे सकती है। भारत में फिल्म के निर्माता, निर्देशक या कलाकारों पर इसका कोई सीधा कानूनी असर नहीं पड़ता।
क्या भारत में कोई FIR या केस बन सकता है?
भारतीय कानून के तहत किसी विदेशी देश की याचिका के आधार पर अपने आप कोई केस दर्ज नहीं होता। जब तक भारत की किसी अदालत या जांच एजेंसी को भारतीय कानून के उल्लंघन के ठोस सबूत न मिलें, तब तक कोई कार्रवाई संभव नहीं है।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर शिकायत की संभावना
पाकिस्तान चाहें तो इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र या अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने की कोशिश कर सकता है, लेकिन फिल्मों की कंटेंट प्रस्तुति आमतौर पर “फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन” के दायरे में आती है। ऐसे मामलों में अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं हस्तक्षेप से बचती हैं।
तो फिर यह याचिका क्यों?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम ज्यादा राजनीतिक और घरेलू संदेश देने के लिए है। इससे पाकिस्तान की जनता और संबंधित राजनीतिक दलों को यह दिखाने की कोशिश की जाती है कि उनकी भावनाओं की “रक्षा” की जा रही है। कानूनी रूप से पाकिस्तान भारत के फिल्म निर्माताओं या कलाकारों के खिलाफ कोई ठोस अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई नहीं कर सकता। यह मामला अधिकतर प्रतीकात्मक, राजनीतिक और आंतरिक जनभावना को संतुष्ट करने की पहल माना जा रहा है। वास्तविक असर सिर्फ पाकिस्तान में फिल्म की रिलीज या प्रदर्शन तक ही सीमित रह सकता है।
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