BY: Yoganand Shrivastva
इस्लामाबाद: दक्षिण एशिया में कूटनीतिक हलचल एक बार फिर तेज हो गई है। पाकिस्तान और चीन मिलकर एक नए क्षेत्रीय संगठन के गठन की योजना पर गंभीरता से काम कर रहे हैं। इस संगठन का उद्देश्य लगभग निष्क्रिय पड़े दक्षेस (SAARC) की जगह लेना बताया जा रहा है। सोमवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है।
राजनयिक सूत्रों के अनुसार, इस्लामाबाद और बीजिंग के बीच इस मुद्दे पर वार्ता अंतिम चरण में है। दोनों देशों का मानना है कि क्षेत्रीय सहयोग और संपर्क को बढ़ाने के लिए एक नए, अधिक सक्रिय मंच की आवश्यकता है।
कुनमिंग में हुई है अहम बैठक
खबरों के मुताबिक, हाल ही में चीन के कुनमिंग शहर में पाकिस्तान, चीन और बांग्लादेश के बीच एक त्रिपक्षीय बैठक हुई है, जिसे इस पहल का हिस्सा माना जा रहा है। यह बैठक संभावित रूप से उस नए संगठन की नींव रख सकती है जो दक्षेस की भूमिका निभाएगा।
गौरतलब है कि वर्तमान में दक्षेस में भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल और श्रीलंका जैसे देश शामिल हैं, लेकिन वर्षों से यह संगठन निष्क्रिय स्थिति में है।
बांग्लादेश की सफाई
हालांकि, बांग्लादेश ने किसी भी तरह के गठबंधन में शामिल होने की बात से इनकार किया है। बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार एम तौहीद हुसैन ने स्पष्ट किया कि कुनमिंग में हुई बैठक का उद्देश्य राजनीतिक गठबंधन बनाना नहीं था। उन्होंने कहा, “हम किसी भी प्रकार का गठबंधन नहीं बना रहे हैं।”
भारत को मिलेगा आमंत्रण?
सूत्रों की मानें तो भारत को भी इस नए प्रस्तावित संगठन में शामिल होने का निमंत्रण दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त श्रीलंका, मालदीव और अफगानिस्तान जैसे देशों को भी जोड़ने की योजना है। इस संगठन के मुख्य उद्देश्य व्यापार, क्षेत्रीय संपर्क और आपसी सहयोग को बढ़ावा देना बताया जा रहा है।
यदि यह योजना अमल में लाई जाती है, तो यह संगठन दक्षेस का स्थान ले सकता है, जो भारत-पाकिस्तान के तनावपूर्ण संबंधों के कारण वर्षों से ठप पड़ा है।
दक्षेस क्यों निष्क्रिय है?
दक्षेस का अंतिम शिखर सम्मेलन 2014 में काठमांडू में हुआ था। इसके बाद 2016 में इस्लामाबाद में होने वाला सम्मेलन उरी हमले के कारण रद्द कर दिया गया था। भारत ने उस समय “वर्तमान परिस्थितियों” का हवाला देकर सम्मेलन में भाग लेने से मना कर दिया था। उसके बाद बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान ने भी हिस्सा लेने से इनकार कर दिया था, जिसके चलते शिखर बैठक स्थगित कर दी गई थी।
दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग के नाम पर चीन और पाकिस्तान की यह नई पहल आने वाले समय में भू-राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकती है। हालांकि, बांग्लादेश जैसे देशों की सावधानी और भारत की स्थिति इस संगठन की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता तय करने में अहम भूमिका निभाएगी।