by: vijay nandan
अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच एक बार फिर तनाव अपने चरम पर है। हेलमंद प्रांत से सटे पाकिस्तानी कस्बे बहराम चह में हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं। 3 फरवरी से शुरू हुई यह झड़प अब गंभीर सैन्य संघर्ष में तब्दील हो चुकी है।
झगड़े की शुरुआत: सीमा पर बनी एक चौकी से मचा बवाल
इस पूरे विवाद की शुरुआत तब हुई जब तालिबान ने अपनी सीमा पर एक नई चौकी बनाने की कोशिश की।
- पाकिस्तान ने इसे सीमा समझौतों का उल्लंघन बताते हुए गोलीबारी शुरू कर दी।
- जवाब में तालिबान ने पाकिस्तानी चेकपोस्ट पर मोर्टार दागे, जिससे वह पूरी तरह ध्वस्त हो गया।
इलाके में डर और दहशत का माहौल
- पाकिस्तान सरकार ने चगई जिले के ढाई लाख से अधिक लोगों को तुरंत घर खाली करने का आदेश दिया है।
- तालिबान ने भी अपने नागरिकों को इलाका छोड़ने के निर्देश दिए हैं।
- दोनों देशों की आम जनता अब सुरक्षा की तलाश में है – स्कूल, कॉलेज और सार्वजनिक स्थान बंद कर दिए गए हैं।
- अस्पतालों को हाई अलर्ट पर रखा गया है और लोग बम शेल्टर्स खोज रहे हैं।

बहराम चह क्यों है रणनीतिक रूप से अहम?
बहराम चह चेकपोस्ट डूरंड लाइन पर स्थित है, और यह कई कारणों से बेहद संवेदनशील माना जाता है:
- नशीले पदार्थों की तस्करी और हथियारों की आवाजाही का प्रमुख रास्ता
- सैन्य गतिविधियों के लिए एक जरूरी गलियारा
- तालिबान और बलूच विद्रोहियों की गतिविधियों का केंद्र
पाक सेना के लिए इसका नष्ट होना रणनीतिक नुकसान से कम नहीं।
दोनों ओर सैन्य तैयारियां तेज
तालिबान ने अपनी ताकत बढ़ा दी है:
- 205वीं कंधार कोर को तैनात किया गया है
- करीब 50 आत्मघाती हमलावरों का दस्ता भी शामिल किया गया है
- यह टीम पाकिस्तानी बलों पर बड़े हमले की तैयारी में है
वहीं पाकिस्तान भी पीछे नहीं:
- फ्रंटियर कोर बलूचिस्तान को आगे बढ़ाया गया है
- टैंक और भारी हथियारों की तैनाती की गई है
- फिर भी पाक सेना चार से ज्यादा चेकपोस्ट छोड़ चुकी है, जिनमें गोंशोरो पास भी शामिल है
तालिबान को मिल रहा बलूच विद्रोहियों का साथ
हालात को और जटिल बना रही है बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) की मौजूदगी।
- BLA ने तालिबान को समर्थन देने की बात कही है
- हाल ही में ‘ऑपरेशन हीरोफ 2.0’ के तहत 71 समन्वित हमलों को अंजाम दिया गया
- ये हमले पाकिस्तान की सैन्य ठिकानों पर केंद्रित थे
- BLA ने अपनी सशस्त्र कार्रवाइयों को तेज करने की घोषणा की है
कूटनीतिक समाधान की सख्त ज़रूरत
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर जल्द ही कोई राजनयिक पहल नहीं हुई, तो यह विवाद न सिर्फ पाक-अफगान रिश्तों को खराब करेगा, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया की सुरक्षा पर भी असर डालेगा।
बहराम चह में तालिबान और पाकिस्तानी सेना के बीच यह संघर्ष अब सिर्फ सीमित झड़प नहीं रह गया। इसमें क्षेत्रीय राजनीति, विद्रोही संगठन और आम जनता की सुरक्षा जैसे कई स्तर शामिल हो चुके हैं। आने वाले दिनों में इस इलाके की स्थिति और गंभीर हो सकती है — और अब सारी नजरें इस पर हैं कि अगला कदम कौन उठाता है: कूटनीति या गोलियां।