लखनऊ: लोक गायिका और राजनीतिक टिप्पणीकार नेहा सिंह राठौर इन दिनों चर्चा में हैं। पहलगाम में हुए आतंकी हमले (22 अप्रैल) के बाद उनके सोशल मीडिया पोस्ट्स पर एक एफआईआर दर्ज की गई है। इस हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। नेहा ने ‘X’ (पहले ट्विटर) पर कुछ सवाल उठाए, जिसके बाद उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू हो गई।
“सरकार ने पहलगाम हमले के बाद क्या किया? मेरे खिलाफ एफआईआर?”
एफआईआर के बाद नेहा ने एक नया वीडियो जारी कर सवाल किया:
- “अगर सरकार में इतना ही दम है, तो हमले के जिम्मेदारों के पीछे जाए। क्या देश ने आपको पाकिस्तान जाकर बिरयानी खाने के लिए चुना था?”
- “भाजपा देश नहीं है, और प्रधानमंत्री भगवान नहीं हैं। यह लोकतंत्र है। अगर आपको मेरे सवाल इतने बुरे लगते हैं, तो सरकार छोड़कर विपक्ष में बैठ जाइए। फिर मैं सवाल करना बंद कर दूंगी।”
कौन हैं नेहा सिंह राठौर?
नेहा एक लोक गायिका हैं, जो अपने गीतों और सोशल मीडिया पर सियासी मुद्दों पर तीखी टिप्पणियों के लिए मशहूर हैं।
- उनके गाने उत्तर प्रदेश की लोक संस्कृति से जुड़े हैं, लेकिन वे अक्सर सामाजिक अन्याय, सरकारी नीतियों और सांप्रदायिक सद्भाव जैसे मुद्दों पर बेबाकी से बोलती हैं।
- उनका ‘X’ हैंडल (@NehaSinghRathore) राजनीतिक बहसों का केंद्र रहता है, जहाँ वे विवादित मुद्दों पर अपनी राय रखती हैं।
क्या है पहलगाम विवाद?
नेहा ने ‘X’ पर कुछ पोस्ट्स शेयर किए, जिनमें उन्होंने पहलगाम हमले के पीड़ितों की मौत पर सवाल उठाए।
- उनकी टिप्पणियों को कुछ लोगों ने “आपत्तिजनक” और “राष्ट्र-विरोधी” बताया।
- यह मामला तब और गरमा गया जब पाकिस्तानी मीडिया ने उनके पोस्ट्स को उठाकर भारत के खिलाफ नैरेटिव बनाने की कोशिश की।
क्यों दर्ज हुई एफआईआर?
लखनऊ के हजरतगंज पुलिस स्टेशन में मशहूर कवि अभय प्रताप सिंह (अभय सिंह ‘निर्भिक’) ने शिकायत की कि नेहा के बयानों से:
- समुदायों के बीच दुश्मनी फैल सकती है।
- देशद्रोह और हिंसा भड़काने जैसे आरोप लगे।
इसके बाद पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124A (देशद्रोह), 153A (साम्प्रदायिक तनाव) और 505 (जनता में भय फैलाना) के तहत केस दर्ज किया।
नेहा का स्टैंड: “मैं सिर्फ सवाल कर रही हूँ!”
नेहा का कहना है कि सरकार उन्हें डराने की कोशिश कर रही है, जबकि असली मुद्दा आतंकवाद से निपटना है।
- “अगर सरकार में इतना ही दम है, तो आतंकियों को पकड़े, मुझे नहीं।”
- “लोकतंत्र में सवाल पूछना अपराध नहीं है।”
क्या होगा आगे?
यह मामला अब राजनीतिक बहस का हिस्सा बन चुका है।
- कुछ लोग नेहा की आजादी की रक्षा की मांग कर रहे हैं, तो कुछ उनकी आलोचना कर रहे हैं।
- पुलिस जांच जारी है, और अब यह देखना होगा कि कानूनी प्रक्रिया किस दिशा में जाती है।
निष्कर्ष: नेहा सिंह राठौर का मामला सवालों की आजादी और सरकारी आलोचना की सीमाओं पर एक बड़ी बहस छेड़ रहा है। क्या यह केवल एक सोशल मीडिया पोस्ट का मामला है, या फिर लोकतंत्र में असहमति की जगह सिकुड़ रही है? यह सवाल अब हर किसी के जेहन में है।