by: vijay nandan
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने श्रम सुधारों की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए पुराने 29 श्रम कानूनों को समाप्त कर 21 नवंबर से चार नए लेबर कोड पूरे देश में लागू कर दिए हैं। सरकार के अनुसार, ये बदलाव रोजगार व्यवस्था को आधुनिक जरूरतों के अनुरूप ढालने और करोड़ों कामगारों को सामाजिक सुरक्षा देने की दिशा में ऐतिहासिक कदम हैं। नए कोड का लाभ देश के 40 करोड़ से अधिक श्रमिकों को मिलेगा।
- आधुनिक कार्यशैली को मिला कानूनी ढांचा
पहले के कई कानून 70–80 साल पुराने थे, जिनमें गिग वर्कर्स, प्लेटफॉर्म वर्कर्स और प्रवासी श्रमिकों का जिक्र तक नहीं था। नए लेबर कोड इन सभी को अधिकार और सुरक्षा प्रदान करते हैं।
- नियुक्ति पत्र अनिवार्य, समय पर वेतन की गारंटी
अब हर कर्मचारी को लिखित नियुक्ति पत्र देना अनिवार्य है। साथ ही पूरे देश में न्यूनतम वेतन लागू होगा और समय पर वेतन देना कंपनी की कानूनी जिम्मेदारी होगी।

- 40+ कर्मचारियों के लिए मुफ्त हेल्थ चेकअप
40 वर्ष से ऊपर के कर्मचारियों को साल में एक बार निशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण मिलेगा। खतरनाक उद्योगों में काम करने वालों को अतिरिक्त सुरक्षा मानक दिए जाएंगे।
- सिर्फ 1 वर्ष की नौकरी पर ग्रेच्युटी
पहले ग्रेच्युटी के लिए 5 वर्ष की सेवा जरूरी थी, लेकिन अब स्थाई नौकरी के सिर्फ 1 साल बाद कर्मचारियों को यह सुविधा मिलेगी। इससे प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को बड़ा लाभ होगा।

- महिलाओं और ट्रांसजेंडर कर्मचारियों के लिए नई सुविधाएँ
महिलाओं को अब सुरक्षा इंतजाम और सहमति के साथ नाइट शिफ्ट में कार्य करने की अनुमति
समान वेतन और सुरक्षित कार्यस्थल का आश्वासन
ट्रांसजेंडर कर्मचारियों को भी समान अधिकार और सुरक्षा
- गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को मिली पहली बार कानूनी मान्यता
ओला–उबर ड्राइवर, स्विगी–जोमैटो डिलीवरी पार्टनर और ऐप-आधारित वर्कर्स को अब
सामाजिक सुरक्षा बीमा और सरकारी योजनाओं में शामिल होने का अवसर मिलेगा।
एग्रीगेटर कंपनियों को अपने टर्नओवर का 1–2% सामाजिक सुरक्षा कोष में देना होगा। - ओवरटाइम का डबल रेट
कर्मचारी अब किए गए अतिरिक्त काम का भुगतान दुगुने वेतन पर प्राप्त करेंगे। इससे ओवरटाइम पेमेंट को लेकर पारदर्शिता बढ़ेगी।
- कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स को स्थाई कर्मचारियों जैसी सुरक्षा
पहली बार कॉन्ट्रैक्ट, प्रवासी और असंगठित क्षेत्र के कामगारों को
न्यूनतम वेतन, सामाजिक सुरक्षा और रोजगार सुरक्षा ढांचा प्रदान किया जाएगा।
- उद्योगों के लिए आसान कम्प्लायंस
सिंगल लाइसेंस, सिंगल रिटर्न और सिंगल रजिस्टर जैसी सुविधाओं से कंपनियों का अनुपालन बोझ कम होगा, जिससे उद्योग जगत को लालफीताशाही से राहत मिलेगी।
- विवाद निपटान का नया मॉडल
नए प्रावधानों के तहत इंस्पेक्टर-कम-फैसिलिटेटर अधिकारियों की भूमिका मार्गदर्शन पर आधारित होगी
श्रमिकों की शिकायतों के लिए दो सदस्यीय ट्राइब्यूनल बनाए जाएंगे





