BY: Yoganand Shrivastva
ग्वालियर, कांग्रेस की आंतरिक राजनीति में एक बार फिर घमासान मचा है। आज प्रेस को जारी एक बयान में पूर्व एनएसयूआई अध्यक्ष अमित दुबे ने पार्टी नेतृत्व पर निशाना साधते हुए नई और पुरानी कांग्रेस के बीच बढ़ते टकराव को उजागर किया। उन्होंने सीधे तौर पर सवाल उठाया कि दिग्विजय सिंह, जीतू पटवारी और हरीश चौधरी के नेतृत्व में होने वाला आंदोलन वास्तव में किसके विरोध में किया जा रहा है?
“कांग्रेस की विचारधारा से भटकाव”
अमित दुबे का कहना है कि कांग्रेस हमेशा से समाज के कमजोर, पिछड़े और मध्यम वर्ग के साथ खड़ी रहने वाली पार्टी रही है, लेकिन हाल के वर्षों में पार्टी में शामिल हुए कुछ नए चेहरे कांग्रेस की मूल विचारधारा से पूरी तरह अनभिज्ञ हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ये लोग जातिवादी राजनीति से प्रेरित होकर पार्टी के भीतर भ्रम और फूट पैदा कर रहे हैं।
“अनजान हैं आंदोलन की पृष्ठभूमि से”
पूर्व एनएसयूआई अध्यक्ष ने दावा किया कि ये नए नेता इस बात की जानकारी तक नहीं रखते कि जिनके खिलाफ आंदोलन किया जा रहा है, वे कांग्रेस के पुराने और समर्पित कार्यकर्ता हैं या किसी अन्य पार्टी से जुड़े हुए लोग। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह पूरा घटनाक्रम किसी अन्य राजनीतिक दल के इशारे पर कांग्रेस को भीतर से कमजोर करने की एक साजिश हो सकती है।
“अंबेडकर प्रतिमा विवाद पर सफाई”
अमित दुबे ने यह भी स्पष्ट किया कि अंबेडकर जी की मूर्ति से जुड़ा मामला पूरी तरह न्यायालयीन प्रक्रिया के अंतर्गत था, लेकिन कुछ नवागंतुक कांग्रेस नेताओं ने इस मुद्दे को भी राजनीतिक रंग देकर आंदोलन का जरिया बना लिया, जबकि इस आंदोलन का मुख्य निशाना खुद कांग्रेस के वरिष्ठ और पुराने नेता बन गए।
“वरिष्ठ नेताओं को गुमराह किया गया”
उन्होंने सवाल उठाया कि क्या दिग्विजय सिंह, जीतू पटवारी और हरीश चौधरी को यह नहीं बताया गया कि जिनके खिलाफ वे आंदोलन करने जा रहे हैं, वे वास्तव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर उन्हें सही जानकारी होती तो शायद वे ऐसे मंच साझा न करते जहां अन्य जातियों और महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले लोग भी शामिल थे।
“पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं की उपेक्षा”
अमित दुबे ने अपने और अपने साथियों का परिचय देते हुए बताया कि जिन्हें आज भाजपा या आरएसएस से जोड़कर बदनाम किया जा रहा है, वे वास्तव में कांग्रेस के वर्तमान या पूर्व पदाधिकारी हैं:
- अमित दुबे – एनएसयूआई के प्रदेश सचिव, विश्वविद्यालय क्षेत्र अध्यक्ष और अध्यक्ष रह चुके हैं।
- एडवोकेट अनिल मिश्रा – कांग्रेस लीगल सेल के पूर्व अध्यक्ष।
- एडवोकेट पवन पाठक – लीगल सेल के प्रदेश महासचिव, लीगल एडवाइजरी कमेटी ग्वालियर के पूर्व सदस्य।
- एडवोकेट जितेंद्र दीक्षित – कांग्रेस एडवाइजरी सेल के वर्तमान सदस्य।
- एडवोकेट नीरज भार्गव – कांग्रेस लीगल सेल के सक्रिय सदस्य।
- देशराज भार्गव – जिन्हें हाल ही में कांग्रेस प्रवक्ता पद से हटा दिया गया।
“राष्ट्रीय नेतृत्व को हस्तक्षेप करना चाहिए”
अमित दुबे ने कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व से अपील की कि पार्टी के भीतर सच्चे और पुराने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा तथा झूठे आरोपों और गुटबाज़ी के खिलाफ तत्काल कदम उठाए जाएं। उन्होंने कहा कि पार्टी को भीतरघातियों से बचाने के लिए ठोस कार्यवाही आवश्यक है।
अमित दुबे का यह बयान कांग्रेस की आंतरिक स्थिति को लेकर गंभीर संकेत देता है। जहां एक ओर पार्टी भविष्य की रणनीतियों और लोकसभा चुनावों की तैयारी में जुटी है, वहीं दूसरी ओर पुराने और नए चेहरों के बीच मतभेद पार्टी को भीतर से कमजोर कर सकते हैं। यदि समय रहते इन मतभेदों को नहीं सुलझाया गया, तो यह विवाद पार्टी की साख और संगठनात्मक एकता को गहरा नुकसान पहुँचा सकता है।