BY: MOHIT JAIN
नेपाल की राजधानी काठमांडू और आसपास के इलाकों में हाल ही में भड़की हिंसा अब थम चुकी है। एक हफ्ते तक चले इस उग्र आंदोलन ने न सिर्फ राजनीतिक समीकरण बदल दिए, बल्कि राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था को भी गहरा झटका दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, काठमांडू घाटी में 30 से ज्यादा पुलिस चौकियां और थाने पूरी तरह जलकर खाक हो गए हैं।
अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की के नेतृत्व में स्थिति नियंत्रण में
नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किए जाने के बाद हालात में सुधार देखने को मिल रहा है। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने संसद को भंग कर अगले साल 5 मार्च 2026 को आम चुनाव कराने की घोषणा की है।
इस फैसले ने देश की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है, जबकि सड़कों पर हिंसा का दौर थम गया है।
सफाई में जुटे स्वयंसेवक और स्थानीय युवा
काठमांडू घाटी में हुए तोड़फोड़ और आगजनी के बाद अब स्थानीय युवा और स्वयंसेवक सफाई अभियान में जुट गए हैं।
- सड़कों से मलबा हटाया जा रहा है।
- जले हुए पुलिस थानों के मलबे में अस्थायी कंट्रोल रूम बनाए गए हैं।
- लोगों की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर पर लगातार कॉल्स आ रही हैं।
धार्मिक स्थलों पर भी रौनक लौटने लगी
नेपाल का प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर आज से श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है। माना जा रहा है कि जल्द ही नई सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार भी हो सकता है। हालांकि संसद भंग करने के राष्ट्रपति के फैसले का नेपाली कांग्रेस, नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल) और माओवादी केंद्र समेत कई प्रमुख दलों ने विरोध किया है।
राजनीतिक अस्थिरता और हिंसा का असर
इस हिंसा में अब तक 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा, जिसके बाद अंतरिम सरकार का गठन हुआ। राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, संसद को 12 सितंबर की रात 11 बजे से भंग कर दिया गया।
काठमांडू समेत नेपाल के अन्य शहरों में भी धीरे-धीरे हालात सामान्य हो रहे हैं। लोगों के बीच एक उम्मीद है कि आने वाले चुनाव से राजनीतिक अस्थिरता खत्म होगी और देश में स्थिरता आएगी।