मध्य प्रदेश सरकार अगस्त 2025 से बिजली वितरण प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव करने जा रही है। राज्य में चरणबद्ध तरीके से प्रीपेड बिजली व्यवस्था (Prepaid Electricity System) लागू की जाएगी। इस नई प्रणाली की शुरुआत सरकारी कार्यालयों से होगी और बाद में इसे आम उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जाएगा।
पहले चरण में सरकारी ऑफिस होंगे शामिल
- 10,000 सरकारी ऑफिस—मालवा-निमाड़ क्षेत्र में प्रीपेड मोड पर शिफ्ट होंगे।
- इंदौर के 1550 कार्यालयों में यह प्रणाली पहले लागू होगी।
- दिसंबर 2025 तक पूरे पश्चिम क्षेत्र के 50,000 सरकारी कार्यालयों को प्रीपेड सिस्टम में शामिल किया जाएगा।
विशेष: अस्पताल, थाने, जल प्रदाय इकाइयों जैसे आकस्मिक विभागों को बाद में जोड़ा जाएगा।
सरकारी कार्यालयों को भरना होगा दो महीने का एडवांस बिल
- विभागीय कोषाधिकारी को दो माह का अग्रिम बिजली बिल जमा करना अनिवार्य होगा।
- कंपनियां संबंधित कार्यालयों को 30 जुलाई तक सूचना भेज देंगी।
- अग्रिम राशि जमा करने के बाद मासिक खपत के आधार पर बिल कटेगा।
- इस सिस्टम में सरकारी उपभोक्ताओं को 25 पैसे प्रति यूनिट की छूट भी दी जाएगी।
कैसे तय होगा एडवांस बिल?
बिजली कंपनियों ने सभी सरकारी कार्यालयों का दो साल का बिल आंकलन किया है।
- यदि किसी ऑफिस का अधिकतम बिल ₹2000 है, तो उसे ₹4000 एडवांस जमा करना होगा।
- अगले महीनों में केवल खपत के अनुसार भुगतान करना होगा।
आम उपभोक्ताओं के लिए क्या होगी प्रक्रिया?
दूसरे चरण में आम जनता को इस प्रणाली से जोड़ा जाएगा। प्रक्रिया की शुरुआत वाणिज्यिक, औद्योगिक और उच्च लोड उपभोक्ताओं से होगी। इसके बाद घरेलू उपभोक्ता शामिल किए जाएंगे।
मुख्य बातें:
- मोबाइल या वाई-फाई की तरह बिजली रिचार्ज करके उपयोग करनी होगी।
- किसी दो महीने का बिल एडवांस में नहीं देना होगा।
- उपभोक्ताओं को बैलेंस चेक करने की सुविधा भी मिलेगी।
रिचार्ज की राशि क्या होगी?
- फिलहाल रिचार्ज राशि और यूनिट की दरों को लेकर अंतिम फैसला नहीं हुआ है।
- कंपनियों ने 100 रुपए से शुरुआत और अनलिमिटेड रिचार्ज का प्रस्ताव दिया है।
- रिचार्ज राशि उस समय के टैरिफ के अनुसार तय की जाएगी।
पुराने मीटर नहीं बदले जाएंगे
- प्रीपेड सिस्टम के लिए स्मार्ट मीटर ही इस्तेमाल किए जाएंगे।
- उपभोक्ता को नया मीटर नहीं लगवाना होगा।
- टैरिफ में 25 पैसे प्रति यूनिट की छूट और पहले की तरह सरकारी सब्सिडी मिलती रहेगी।
तय समय में लागू नहीं करने पर कंपनियों पर लगेगी पेनल्टी
भारत सरकार के निर्देश के अनुसार:
- 2025 के अंत तक 50% कनेक्शन प्रीपेड मोड पर शिफ्ट करने अनिवार्य हैं।
- निर्देश न मानने पर बिजली कंपनियों पर पेनल्टी लगाई जाएगी।
- उद्देश्य है: ऊर्जा दक्षता बढ़ाना और खपत नियंत्रण।
क्या कहा अधिकारियों ने?
इंदौर विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंध निदेशक अनूप कुमार सिंह ने बताया:
“पश्चिम क्षेत्र कंपनी की टीमें स्मार्ट मीटर, प्रीपेड बिलिंग और वितरण की तैयारियों में जुटी हैं। अगस्त तक प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं।”
ऊर्जा की बचत के साथ जवाबदेही भी बढ़ेगी
प्रीपेड बिजली प्रणाली न केवल ऊर्जा बचाने में मददगार होगी, बल्कि उपभोक्ताओं की जवाबदेही और खर्च पर नियंत्रण भी सुनिश्चित करेगी। यह कदम मध्य प्रदेश की बिजली व्यवस्था को अधिक पारदर्शी, स्मार्ट और डिजिटल बनाएगा।