BY: Yoganand Shrivastva
टीवीएफ की चर्चित वेब सीरीज पंचायत ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि कहानी और सच्चाई के दम पर किसी भी बड़ी स्टारकास्ट और भारी-भरकम बजट को मात दी जा सकती है। तीसरे सीजन की रिलीज़ अभी दो महीने दूर है, लेकिन शो पहले ही मीडिया की सुर्खियाँ बन चुका है और एक के बाद एक शानदार उपलब्धियाँ हासिल कर रहा है।
दिलों में बसी गांव की सादगी
जबसे पंचायत की शुरुआत हुई है, इसने दर्शकों को भारतीय गांवों की ज़िंदगी के करीब ला दिया है। सीरीज में दिखाया गया ग्रामीण परिवेश, जमीन से जुड़ी कहानियाँ और जीवंत किरदार दर्शकों को इतने पसंद आए हैं कि वे इस शो को बार-बार देखना पसंद करते हैं। यहीं इसकी सबसे बड़ी ताकत भी है—सच्चाई और सरलता।
WAVES 2025 में हुआ सेलेक्शन
अब पंचायत को एक और बड़ा सम्मान मिला है। इसे WAVES 2025 (वर्ल्ड ऑडियो विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट) की मास्टरक्लास के लिए चुना गया है, जिसका आयोजन मुंबई में 1 से 4 मई के बीच हो रहा है। खास बात यह है कि “ग्रासरूट स्टोरीटेलिंग” यानी जमीनी स्तर की कहानियों पर होने वाली इस मास्टरक्लास में केवल पंचायत को शामिल किया गया है।
इस सत्र में सीरीज के प्रमुख कलाकार और निर्माता हिस्सा लेंगे, जहाँ वे दर्शकों को बताएंगे कि कैसे यह शो एक छोटे से गाँव की सादगी को इतनी खूबसूरती से वैश्विक मंच तक पहुंचा सका।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिली पहचान
टीवीएफ की इस सफलता ने यह भी दर्शाया है कि भारत की सांस्कृतिक विविधता को कैसे संवेदनशीलता और रचनात्मकता के साथ पर्दे पर उतारा जा सकता है। पंचायत सिर्फ एक मनोरंजन श्रृंखला नहीं, बल्कि भारत के गांवों की जीवंत तस्वीर बन चुकी है।
राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंचों पर छाई ‘पंचायत’
पंचायत का दूसरा सीजन भी शानदार रहा और उसे 54वें इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (IFFI) में ‘सर्वश्रेष्ठ वेब सीरीज ओटीटी अवॉर्ड’ से नवाजा गया। यह पहली बार था जब किसी वेब सीरीज को इस प्रतिष्ठित फिल्म फेस्टिवल में आधिकारिक मान्यता मिली।
अब पहुंच रही दक्षिण भारत तक
इस सीरीज की लोकप्रियता अब सिर्फ हिंदी भाषी दर्शकों तक सीमित नहीं रही। टीवीएफ ने इसका तमिल में ‘थलैवेट्टियान पालायम’ और तेलुगु में ‘शिवारापल्ली’ के नाम से रीमेक भी पेश किया है, जिससे यह कहानी दक्षिण भारत के दर्शकों तक भी प्रभावशाली तरीके से पहुँच रही है।
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