लोकसभा चुनाव का बिगुल बज गया है. देश भर में 7 चरणों में चुनाव होना है. इसके पहले सभी दल अपनी – अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं. वहीं पूरे देश में अलग – अलग लोकसभा सीटों का निरक्षण भी शुरू हो गया है. आइए हम आपको बताते हैं तमिलनाड़ु, आंध्रप्रदेश और उड़ीसा में इस बार के चुनाव की क्या स्थिति है.तमिलनाडु: सनातन पर टिप्पणी का दिखेगा असर
यहां की राजनीति द्रमुक व अन्नाद्रमुक के बीच सिमटी रही है. राष्ट्रीय दल इन्हीं के साथ गठबंधन कर मैदान में उतरते हैं. पिछले चुनाव में द्रमुक की अगुवाई में यूपीए ने 39 में से 38 सीटें जीतीं. इस बार द्रमुक प्रमुख स्टालिन के बेटे उदयनिधि के सनातन धर्म विरोधी बयानों और सरकार के मंत्रियों पर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों ने भाजपा को तीसरा कोण बनाने का मौका दिया. राज्य भाजपा प्रमुख के. अन्नामलाई की सभाओं में भीड़ अलग संदेश दे रही है.
पिछला परिणामकुल सीटें- 39
द्रमुक- 20
कांग्रेस- 08
अन्य- 10
अन्नाद्रमुक- 01
आंध्रप्रदेश : टीडीपी बड़ी चुनौती में घिरी
लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव भी होंगे. विपक्षी टीडीपी के सामने अभी नहीं, तो कभी नहीं की चुनौती है. टीडीपी की एनडीए में वापसी व भाजपा और जनसेना के साथ गठबंधन से नया समीकरण बना है. राज्य की सत्ता और आम चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने वाली वाईएसआरसीपी के सामने प्रदर्शन दोहराने की चुनौती.
पिछला परिणाम
कुल सीटें- 25
वाईएसआरसीपी- 22
टीडीपी- 3
ओडिशा: दूर रहकर भी बीजद साथ
सीएम नवीन पटनायक के चेहरे के साथ बीजद राज्य में सबसे ताकतवर. संसद में बीते दस साल से बीजद-भाजपा की दोस्ती चर्चा का विषय रही, मगर गठबंधन पर फैसला नहीं. बीते चुनाव में मुख्य विपक्षी दल बनकर भाजपा ने चौंका दिया था. हालांकि अस्वस्थ चल रहे पटनायक को लेकर कई तरह की अटकलों का बाजार गर्म है. वहीं, कांग्रेस के सामने राज्य में नेतृत्व और संगठन की बड़ी चुनौती सामने है. पिछला परिणाम कुल सीटें- 21 बीजेडी- 12 भाजपा- 8 कांग्रेस- 1