by: vijay nandan
फॉरेक्स और क्रिप्टो ट्रेडिंग के नाम पर देशभर के निवेशकों से लगभग 2400 करोड़ रुपये ठगने वाले लविश चौधरी उर्फ़ नवाब अली ने एक बार फिर रणनीति बदल दी है। उसने हाल ही में अपनी पुरानी क्रिप्टो कंपनी ट्रिलियनेयर (TLC 2.0) को रीब्रांड करके लिगेसी-एक्स नाम से पेश किया है। क्रिप्टो कॉइन मार्केट कैप पर भी इसकी जानकारी मिल रही है। बताया जाता है कि ट्रिलियनेयर को 138 डॉलर की कीमत बताकर लोगों को आकर्षित किया गया था, लेकिन TLC 2.0 में निवेश करने वालों का भारी नुकसान हुआ। इससे पहले वह बोट-ब्रो को भी बोट-अल्फा नाम से बदल चुका है।
साइबर एक्सपर्ट की चेतावनी
जयपुर के साइबर विशेषज्ञ मुकेश चौधरी और भोपाल के हेमराज सिंह चौहान के अनुसार लिगेसी-एक्स, बोट-अल्फा और क्रॉस मार्केट जैसी स्कीमें निवेशकों के लिए घाटे का सौदा साबित हो सकती हैं। उन्होंने साफ कहा है कि ऐसी डील्स में पैसे लगाने का मतलब है अपनी पूंजी डुबोना।
ज़ूम मीटिंग में लविश का दावा
पांच दिन पहले लविश ने दुनियाभर के अपने एजेंटों के साथ ज़ूम पर ऑनलाइन बैठक की। इस मीटिंग के वीडियो में वह कहते दिखा—“भारत में हमारे 99% एजेंट सक्रिय हैं और यह नेटवर्क कभी बंद नहीं होगा।” उसने यह भी दावा किया कि टीएलसी 2.0 का समाधान सितंबर में मिल जाएगा, डोमेन बदलेगा पर टीम वही रहेगी। वह ओमान, मलेशिया और वियतनाम में फिजिकल मीटिंग करने और दिसंबर तक नया सिस्टम खड़ा करने की बात कह रहा है।
2026 तक ‘रेलवे विंड’ का वादा
लविश का करीबी नेगी लगातार यूट्यूब पर उसके पक्ष में वीडियो साझा करता है। हालिया वीडियो में उसने कहा कि 2026 तक लविश ‘रेलवे विंड’ नाम की तकनीक लॉन्च करेगा। उसके अनुसार यह लविश का ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ है और जनवरी तक निवेशकों को इस बारे में पूरी जानकारी मिल जाएगी।
लिस्टिंग की जांच ज़रूरी
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि लिगेसी-एक्स कहीं भी लिस्टेड नहीं है, इसलिए इसकी वास्तविक कीमत नहीं है। टीम मल्टीलेवल ब्रांडिंग के जरिए इस कॉइन की मांग का दिखावा कर सकती है। इसलिए निवेश करने से पहले हमेशा यह जांच लें कि संबंधित कॉइन किसी वैध एक्सचेंज पर लिस्टेड है या नहीं। अगर लिस्टेड नहीं है तो यह धोखाधड़ी हो सकती है।

जांच एजेंसियों की कार्रवाई
मध्य प्रदेश एसटीएफ अब तक 100 से अधिक बैंक खातों में 188 करोड़ रुपये फ्रीज करवा चुकी है। एजेंसियां अब लविश के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी कराने की तैयारी में हैं। एआईजी नवीन कुमार ने बताया कि इसके लिए गृह मंत्रालय से संपर्क किया जा रहा है। नोटिस जारी होने पर लविश को भारत लाने का रास्ता साफ होगा।
ट्रैक सूट और कंपनियां
जांच में यह भी सामने आया है कि लविश ने एजेंट तैयार करने के लिए एक इवेंट कराया था, जिसमें भारत से 33 लाख रुपये के ट्रैक सूट मंगवाए गए। वह पहले NAeducom Service Pvt Ltd, NSMtrade.zone और NAinfo.Solution Pvt Ltd जैसी तीन कंपनियों में डायरेक्टर रह चुका है।
सोशल मीडिया का प्लेटफॉम और ऊँचे रिटर्न का लालच
- “फॉरेक्स ट्रेडिंग” और “क्रिप्टो कॉइन” के नाम पर 20–30% या उससे भी ज्यादा मासिक रिटर्न का वादा करता है।
- कहता है “गवर्नमेंट अप्रूव्ड” या “इंटरनेशनल लेवल” की कंपनी है, ताकि भरोसा बने।
ब्रांडिंग और रिब्रांडिंग
- हर स्कीम का नाम अंतरराष्ट्रीय और आकर्षक रखता है (QFX, Bot Alpha, TLC Coin, Legacy-X)।
- जब कोई स्कीम पकड़ में आती है तो नाम बदलकर नई स्कीम शुरू कर देता है, ताकि पुरानी छवि मिट जाए।
सोशल मीडिया और शोबिज
- यूट्यूब, टेलीग्राम, फेसबुक, इंस्टाग्राम पर पेज बनाकर “सफल” निवेशकों के वीडियो और गवाहियां डालता है।
- महंगे होटल, लग्ज़री कार, बड़े इवेंट, महंगे गिफ्ट्स (जैसे ट्रैक सूट, घड़ियां, फोन) देकर यह दिखाता है कि कंपनी “प्रोफेशनल” और “अमीर” है।
मल्टी-लेवल नेटवर्क
- अपने “एजेंट्स” तैयार करता है जो नए निवेशक लाते हैं।
- एजेंट्स को कमीशन/बोनस देता है, जिससे वे और लोगों को जोड़ते हैं।
- नेटवर्क जितना बड़ा होता है, नए पैसे से पुराने को भुगतान किया जाता है (पोंजी सिस्टम)।
“समाधान” और “नया प्रोजेक्ट” दिखाना
- जैसे ही पुराने निवेशक पैसा मांगने लगते हैं, वह कहता है “नया सिस्टम आ रहा है”, “डोमेन बदलेगा”, “दिसंबर तक सब सॉल्व होगा” या “2026 में नया प्रोजेक्ट लांच होगा”।
- इससे लोगों को उम्मीद बंधी रहती है और वे शिकायत करने की बजाय इंतज़ार करते रहते हैं।
“विदेशी ठिकाना” और “फिजिकल मीटिंग”
- दुबई, ओमान, मलेशिया, वियतनाम जैसी जगहों के नाम लेकर भरोसा पैदा करता है कि कंपनी इंटरनेशनल है।
- ज़ूम मीटिंग या विदेशी मीटिंग की बात करके दिखाता है कि नेटवर्क “लाइव” है।