देश के मशहूर संत और पंच दशनम जूना अखाड़ा महामंडलेश्वर पायलट बाबा का 86 साल की उम्र में निधन हो गया है। मंगलवार को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। उनकी मौत से संत समाज में शोक की लहर है। जूना अखोड़े में तीन दिवसीय शोक घोषित किया गया है। इन तीन दिनों में पायलट बाबा की आत्मा की शांति के शांति पाठ और पूजा अर्चना की जाएगी।
श्रीमहंत हरि गिरी महाराज ने कहा कि पायलट बाबा एक सच्चे योगी व देश सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। वह 1974 में विधिवत दीक्षा लेकर जूना अखाड़े में शामिल हुए और अपनी संन्यास यात्रा शुरू की।
पायलट बाबा जूना अखाड़े के विभिन्न पदों पर रहे हैं और अखाड़े की उन्नति प्रगति विकास के लिए कई कार्य किए हैं। साल 1998 में महामंडलेश्वर पद पर आसीन होने के बाद उन्हें 2010 में उज्जैन में प्राचीन जूना अखाड़ा शिवगिरी आश्रम नीलकंठ मंदिर में पीठाधीश्वर पद पर आसीन किया गया था।
हरिद्वार में दी जाएगी समाधि
श्री महंत हरि गिरी महाराज ने कहा कि पायलट बाबा की अंतिम इच्छा के अनुसार उन्हें उत्तराखंड की पावन भूमि में समाधि दी जाएगी। जूना अखाड़े के समस्त पदाधिकारी और वरिष्ठ संत, महामंडलेश्वर उनको समाधि देने के लिए पहुंचेंगे। हरिद्वार अखाड़े में पायलट बाबा के ब्रह्मलीन होने पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।
कौन थे पायलट बाबा
पायलट बाबा का जन्म बिहार के रोहतास जिले के सासाराम में एक राजपूत परिवार में हुआ था। इनका पुराना नाम कपिल सिंह था। बाबा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उनका भारतीय वायु सेना में चयन हुआ। बाबा यहां विंग कमांडर के पद पर थे। बाबा 1962, 1965 और 1971 की लड़ाइयों में सेवा दे चुके हैं।