मुख्यमंत्री के गृह जिले जशपुर में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली एक बार फिर सामने आई है। फरसाबहार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति इतनी दयनीय है कि दर्जनों मरीज इलाज के लिए भटकते नजर आए, लेकिन उनकी मदद के लिए कोई डॉक्टर या जिम्मेदार कर्मचारी मौजूद नहीं था।
नाममात्र की आपातकालीन सेवा
स्थानीय लोगों और मरीजों का कहना है कि अस्पताल में आपातकालीन सेवा सिर्फ कागजों पर मौजूद है। मौके पर न तो कोई डॉक्टर दिखाई दिया और न ही जरूरी चिकित्सा सुविधाएं। मरीजों को एक वार्ड से दूसरे वार्ड तक घूमते देखा गया, लेकिन किसी ने उनकी सुध नहीं ली।
सिस्टम पर सवाल
इस पूरे मामले ने जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। मुख्यमंत्री के गृह जिले में भी जब हालात इतने खराब हैं, तो प्रदेश के अन्य हिस्सों में स्थिति की कल्पना करना कठिन नहीं है। अस्पताल स्टाफ में से किसी को भी अस्पताल परिसर में मरीजों की कोई चिंता नहीं दिखी, मानो उन्हें प्रशासनिक अनुशासन का कोई भय ही न हो।
जनता में आक्रोश
स्थानीय नागरिकों और परिजनों ने इस लापरवाही पर नाराजगी जताई है और जिला प्रशासन से तत्काल कार्रवाई और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की मांग की है। लोगों का कहना है कि अगर ऐसी ही लापरवाही जारी रही, तो किसी दिन यह लापरवाही किसी की जान भी ले सकती है।
यह मामला न केवल प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाता है, बल्कि आमजन के लिए स्वास्थ्य को लेकर किए गए सरकारी दावों की भी पोल खोलता है।