BY: MOHIT JAIN
राजस्थान की राजधानी जयपुर में सवाई मानसिंह (SMS) हॉस्पिटल के ट्रॉमा सेंटर में रविवार देर रात बड़ा हादसा हो गया। ट्रॉमा सेंटर के न्यूरो ICU वार्ड में आग लगने से 8 मरीजों की मौत हो गई, जिनमें तीन महिलाएं शामिल हैं। यह आग रात करीब 11 बजकर 20 मिनट पर लगी, जब आईसीयू में कुल 11 मरीज भर्ती थे। आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट मानी जा रही है।
बताया जा रहा है कि आग ICU के उस स्टोर में लगी जहां मेडिकल पेपर, ब्लड सैंपलर ट्यूब और जरूरी उपकरण रखे हुए थे। कुछ ही मिनटों में पूरा वार्ड धुएं से भर गया, जिससे मरीजों का दम घुटने लगा।
बचाव दल की मशक्कत और दर्दनाक हालात

फायर विभाग को जैसे ही अलार्म की सूचना मिली, टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं। फायरकर्मी अवधेश पांडे के अनुसार, “पूरे वार्ड में धुआं भरा हुआ था, अंदर जाना नामुमकिन था। हमने बिल्डिंग के दूसरी ओर की खिड़कियां तोड़कर पानी की बौछार शुरू की।”
आग पर काबू पाने में करीब डेढ़ घंटे का वक्त लगा। फायर टीम ने सभी मरीजों को बेड समेत सड़क पर शिफ्ट किया। कई मरीज गंभीर रूप से झुलस गए और कुछ की मौत धुएं से दम घुटने के कारण हुई।
लापरवाही के आरोप और जांच शुरू
मरीजों के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगाए हैं। भरतपुर निवासी शेरू ने बताया कि आग लगने से 20 मिनट पहले ही ICU में धुआं निकलना शुरू हो गया था। उन्होंने स्टाफ को चेताया, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।
शेरू ने कहा, “11:20 बजे तक धुआं बढ़ गया और प्लास्टिक ट्यूब पिघलने लगी। स्टाफ वहां से भाग निकला। हमें अपने मरीज को खुद बाहर निकालना पड़ा।”
राज्य सरकार ने हादसे की उच्चस्तरीय जांच के लिए छह सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है। समिति यह पता लगाएगी कि आग का सही कारण क्या था और सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन क्यों नहीं किया गया।
अस्पताल प्रशासन और सरकार पर सवाल

यह हादसा एक बार फिर सरकारी अस्पतालों में फायर सेफ्टी इंतजामों पर सवाल खड़ा करता है। ट्रॉमा सेंटर जैसा संवेदनशील क्षेत्र, जहां गंभीर मरीज भर्ती रहते हैं, वहां इस तरह की लापरवाही जानलेवा साबित हुई।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर धुआं निकलने की शुरुआती सूचना पर ध्यान दिया गया होता तो इतने बड़े नुकसान से बचा जा सकता था।
जयपुर के SMS हॉस्पिटल की यह आग सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि चेतावनी है कि अस्पतालों में सुरक्षा मानकों को लेकर कितनी गंभीर चूकें हैं। अब देखना होगा कि जांच समिति इस त्रासदी के दोषियों तक पहुंचती है या फिर यह मामला भी सिर्फ औपचारिकता बनकर रह जाएगा।