BY: Yoganand Shrivastva
सिंगापुर में चल रहे 22वें शांग्री-ला डायलॉग के दौरान भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने एक सशक्त भाषण देते हुए पाकिस्तान को करारा जवाब दिया। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि आज का भारत न सिर्फ पहले से बदला है, बल्कि उसकी रणनीतियां भी अधिक परिपक्व और प्रभावशाली हो चुकी हैं।
‘अब भारत सिर्फ प्रतिक्रिया नहीं देता, रणनीतिक रूप से सोचता है’
शुक्रवार को आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय रक्षा सम्मेलन में बोलते हुए जनरल चौहान ने स्पष्ट किया कि भारत अब प्रतिक्रिया मात्र नहीं देता, बल्कि योजनाबद्ध रणनीति के तहत अपने फैसले लेता है। उन्होंने कहा कि यदि पड़ोसी देश की ओर से केवल शत्रुतापूर्ण व्यवहार ही मिल रहा है, तो दूरी बनाए रखना ही सबसे बुद्धिमत्तापूर्ण कदम है।
उनका यह बयान आतंकवाद और क्षेत्रीय अस्थिरता को लेकर पाकिस्तान की भूमिका पर सीधा संकेत था।
भारत की सफलता रणनीति का परिणाम है, संयोग नहीं
जनरल चौहान ने ऐतिहासिक दृष्टांत प्रस्तुत करते हुए बताया कि आजादी के समय पाकिस्तान कई सामाजिक और आर्थिक मानकों पर भारत से आगे था। लेकिन आज भारत लगभग हर क्षेत्र में — आर्थिक विकास, मानव संसाधन, वैश्विक पहचान — पाकिस्तान से कहीं आगे निकल चुका है। उन्होंने इसे एक संयोग नहीं, बल्कि योजनाबद्ध रणनीति और दूरदर्शिता का परिणाम बताया।
आधुनिक युद्ध और रक्षा नवाचार पर विचार
सीडीएस चौहान ने “भविष्य की चुनौतियों के लिए डिफेंस इनोवेशन” विषय पर भी विस्तार से अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि आधुनिक युद्ध की प्रकृति बदल रही है और ऐसे में नवाचार, तकनीक और रणनीतिक सोच की भूमिका पहले से कहीं अधिक हो गई है।
इस दौरान उन्होंने दुनिया भर से आए सैन्य नेताओं और उच्च स्तरीय रक्षा अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय मुलाकातें भी कीं।
शांग्री-ला डायलॉग: एशिया का अग्रणी रक्षा मंच
शांग्री-ला डायलॉग को एशिया का सबसे महत्वपूर्ण रक्षा संवाद मंच माना जाता है। इस वर्ष इसमें 47 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए हैं, जिनमें 40 से अधिक मंत्री स्तर के अधिकारी हैं। उल्लेखनीय है कि इस बार चीन ने अपने रक्षा मंत्री डोंग जुन को नहीं भेजा है, बल्कि उनकी जगह पीपल्स लिबरेशन आर्मी की नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी के प्रतिनिधिमंडल को सम्मिलित किया गया है।
इस सम्मेलन का आयोजन लंदन स्थित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज (IISS) द्वारा किया जाता है। 2022 से पुनः प्रारंभ हुए इस संवाद में हर वर्ष बढ़ती भागीदारी देखी जा रही है। वर्ष 2024 में इसमें 45 देशों ने भाग लिया था।