इंडियन आर्मी की ताकत को मिलेगी नई धार
भारतीय सेना के हथियारों की ताकत में एक और बड़ी छलांग लगने जा रही है। जिस आधुनिक तोप प्रणाली की बात हो रही है, वो है ATAGS-MSG। आने वाले समय में यह तोप सिर्फ हल्की ही नहीं होगी, बल्कि इसमें लगभग पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे आत्मनिर्भर भारत मिशन को भी बड़ा बढ़ावा मिलेगा।
📌 ATAGS-MSG क्या है?
ATAGS-MSG एक अत्याधुनिक मोबाइल गन सिस्टम है जो मौजूदा ATAGS हॉवित्जर को एक हाई-मोबिलिटी व्हीकल चेसिस पर माउंट करके तैयार किया गया है। इसका उद्देश्य फोर्स की रफ्तार और फायरपावर—दोनों में इज़ाफा करना है।
⚙️ इसे किसने बनाया?
- DRDO की सहयोगी संस्था VRDE ने इसका डिज़ाइन तैयार किया है।
- निर्माण में कल्याणी स्ट्रैटेजिक सिस्टम्स और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स की भी भागीदारी है।
🔍 प्रमुख खूबियां: क्यों खास है ATAGS-MSG?
इस गन सिस्टम को न सिर्फ तकनीकी रूप से उन्नत बनाया गया है, बल्कि इसे कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में भी आसानी से तैनात किया जा सकता है।
🛡️ विशेषताएं:
- रेंज: अधिकतम 48 किलोमीटर तक मारक क्षमता
- प्लेटफॉर्म: मोबाइल चेसिस, जिससे तैनाती बेहद आसान
- स्वदेशीकरण: अगली यूनिट में 95% देश में बने कंपोनेंट्स
⚖️ वजन कम होने का क्या फायदा होगा?
अभी यह सिस्टम करीब 31.5 टन का है। मगर अगली पीढ़ी की तोप को लगभग 30 टन तक लाने का लक्ष्य है। इसके फायदे:
- ऊबड़-खाबड़ इलाकों में तेजी से तैनाती
- कम ईंधन खपत
- पहाड़ी सीमाओं में ऑपरेशन की क्षमता में इज़ाफा
🧪 कहां तक पहुंचा विकास?
इस गन सिस्टम का पहला प्रोटोटाइप कई परीक्षणों में सफल साबित हुआ है। ऊंचाई वाले क्षेत्रों और रेगिस्तान में हुए परीक्षणों में इसके प्रदर्शन को सेना ने सराहा है।
🔧 2026 तक क्या होगा?
- MSG तोप के फील्ड ट्रायल्स 2026 तक पूरे हो सकते हैं।
- इन परीक्षणों के आधार पर इसका बड़े स्तर पर निर्माण संभव होगा।
🇮🇳 आत्मनिर्भर भारत और यह तोप
VRDE और DRDO का यह प्रयास सीधे तौर पर ‘Make in India’ मिशन के अनुरूप है। इसका सबसे बड़ा उद्देश्य है विदेशी हथियारों पर निर्भरता कम करना।
- देश के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की मेहनत का नतीजा
- विदेशी मुद्रा की बचत
- भारतीय रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता
🔚 निष्कर्ष: सेना की भविष्य की रीढ़ बनेगी ATAGS-MSG
ATAGS-MSG सिर्फ एक तोप नहीं, बल्कि भारतीय सेना की नई रणनीतिक शक्ति बनने जा रही है। इसका हल्का वजन, उच्च रेंज और लगभग पूरी तरह देसी निर्माण, इसे दुश्मनों के लिए भयावह साबित कर सकता है। साल 2026 के बाद यह गन सिस्टम भारतीय सेना की रीढ़ बनने की पूरी क्षमता रखता है।





