BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली: जो लोग व्हिस्की के शौकीन हैं, उनके लिए एक अच्छी खबर सामने आई है। भारत और ब्रिटेन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) के तहत अब स्कॉच व्हिस्की सहित कई विदेशी शराब ब्रांड्स की कीमतें भारत में कम हो सकती हैं। इस व्यापार समझौते से दोनों देशों के बीच कई वस्तुओं पर आयात शुल्क में कटौती की गई है, जिससे शराब उद्योग में खासा उत्साह है।
क्यों खुश हैं शराब कंपनियां?
भारत में काम कर रही शराब कंपनियों का मानना है कि इस समझौते से स्कॉच व्हिस्की के आयात शुल्क में रियायतें मिलने से उनके उत्पादन की लागत घटेगी। चूंकि भारत में प्रीमियम स्पिरिट्स के लिए एक विशाल बाजार है, ऐसे में कम कीमतों के चलते उपभोक्ताओं तक इनका बेहतर और सस्ता विकल्प पहुंच सकेगा।
वर्तमान और भविष्य की टैक्स व्यवस्था
अब तक स्कॉच व्हिस्की पर 150% तक का आयात शुल्क लगता था, जो कि समझौते के तहत घटकर 75% किया जाएगा और आने वाले 10 वर्षों में इसे 40% तक लाया जाएगा। इससे भारतीय कंपनियों को काफी राहत मिलेगी और उपभोक्ताओं को उच्च गुणवत्ता की शराब किफायती दरों पर मिल सकेगी।
इंडस्ट्री लीडर्स की प्रतिक्रिया
- रेडिको खेतान, जो स्कॉच व्हिस्की का सबसे बड़ा आयातक है, ने कहा कि यह समझौता कंपनी के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है। इसके ब्रांड्स जैसे ‘रामपुर सिंगल माल्ट’ और ‘जैसलमेर जिन’ पहले से ही प्रीमियम सेगमेंट में मजबूत स्थिति रखते हैं। कंपनी के एमडी अभिषेक खेतान ने बताया कि FY 2025-26 में वे ₹250 करोड़ मूल्य का स्कॉच माल्ट आयात करने की योजना बना रहे हैं।
- एलाइड ब्लेंडर्स एंड डिस्टिलर्स (ABD), जो “ऑफिसर्स चॉइस” जैसी लोकप्रिय व्हिस्की बनाती है, ने कहा कि यह समझौता उनके सुपर-प्रीमियम और लक्ज़री सेगमेंट को भारत में तेजी से विस्तार करने में मदद करेगा।
भारत: स्कॉच का सबसे बड़ा खरीदार
स्कॉच व्हिस्की एसोसिएशन के अनुसार, वर्ष 2024 में भारत स्कॉच व्हिस्की के सबसे बड़े उपभोक्ता बाजार के रूप में उभरा। इस दौरान भारत में लगभग 19.2 करोड़ बोतलें स्कॉच की आयात की गईं। हालांकि, मूल्य के हिसाब से भारत अभी भी चौथे स्थान पर है, जहां से कुल £248 मिलियन (लगभग ₹2,600 करोड़) मूल्य की स्कॉच का आयात हुआ।