हरियाणा के मुख्यमंत्री की मौजूदगी में आयोजित एक साइक्लोथॉन कार्यक्रम में, Jind के DSP जितेंद्र राणा ने BJP नेता मनीष सिंगला (पूर्व राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल के बेटे) को VIP एरिया से हटने के लिए कहा। मामला तब गरमा गया जब इस घटना का वीडियो वायरल हो गया और सोशल मीडिया पर चर्चा शुरू हो गई।
इसके बाद, DSP राणा ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगते हुए एक वीडियो जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा – “मेरा किसी को अपमानित करने का कोई इरादा नहीं था। मैं सिर्फ़ अपनी ड्यूटी निभा रहा था। अगर मेरे कार्यों से मनीष सिंगला जी को ठेस पहुंची है, तो मैं माफी चाहता हूं।”
मनीष सिंगला ने भी इस माफी को स्वीकार कर लिया और कहा कि उन्हें पुलिस पर कोई शिकायत नहीं है।

लेकिन यहां सवाल उठता है – क्या एक DSP को सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए थी?
- पुलिस की स्वायत्तता पर सवाल
- क्या एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को किसी राजनीतिक नेता से माफी मांगनी चाहिए, जबकि वह सिर्फ़ अपना कर्तव्य निभा रहा था?
- अगर पुलिस VIP और आम नागरिक के लिए अलग-अलग नियम बनाएगी, तो कानून का शासन कैसे बचेगा?
- सोशल मीडिया का दबाव
- क्या सिर्फ़ एक वायरल वीडियो के दबाव में अधिकारियों को माफी मांग लेनी चाहिए?
- अगर मामला गलतफहमी का था, तो क्या इसे निजी तौर पर सुलझाया जा सकता था?
- “VIP कल्चर” बनाम “कॉमन मैन”
- अगर कोई आम आदमी VIP जोन में खड़ा होता, तो क्या उसे भी इतनी ही विनम्रता से हटाया जाता?
- क्या पुलिस का काम सिर्फ़ “पावरफुल लोगों” की रक्षा करना है, या हर नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित करना?
क्या होना चाहिए?
- पुलिस को बिना किसी दबाव के अपना कर्तव्य निभाने की आज़ादी होनी चाहिए।
- अगर कोई गलती हो भी जाए, तो माफी निजी तौर पर मांगी जा सकती है, सार्वजनिक रूप से नहीं।
- VIP कल्चर को खत्म करने की ज़रूरत है – सुरक्षा के नियम सभी पर समान रूप से लागू होने चाहिए।
यह मामला सिर्फ़ एक DSP की माफी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे सिस्टम में व्याप्त “VIP कल्चर” और पुलिस पर राजनीतिक दबाव की ओर इशारा करता है।
आपकी राय क्या है? क्या DSP को माफी मांगनी चाहिए थी, या यह पुलिस की स्वायत्तता के खिलाफ है?