ग्वालियर में मानसून की महज 27 दिनों की बारिश ने शहर की सड़कों की हालत बुरी तरह से उजागर कर दी है। जगह-जगह बने गहरे गड्ढे, जर्जर सड़कें और जलभराव ने यातायात को खतरनाक बना दिया है। वाहन पलटना और लोगों का घायल होना अब रोजमर्रा की बात हो गई है। इस स्थिति के पीछे सबसे बड़ा कारण है—असफल ड्रेनेज सिस्टम और जिम्मेदारों की लापरवाही।
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क्या कहती है स्थिति की रिपोर्ट?
- 2300 किलोमीटर सड़कें जर्जर:
नगर निगम की प्रमुख सड़कों की कुल लंबाई लगभग 2300 किमी है, जबकि PWD की सड़कें 175 किमी की हैं—सभी में गड्ढे हैं। - 400 करोड़ रुपये की ज़रूरत:
नगर निगम को सड़कों की मरम्मत के लिए लगभग ₹400 करोड़ की राशि की आवश्यकता है। - ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह फेल:
नालियों और नालों की सफाई न होने से पानी की निकासी रुक गई, जिससे सड़कों पर जलभराव और गड्ढे बन गए।
जिम्मेदारी तय, पर कार्रवाई नहीं
- गारंटी पीरियड की सड़कें भी टूटी:
सड़कों का निर्माण गारंटी अवधि के तहत किया गया था, परंतु खराब होने के बावजूद ठेकेदार मरम्मत नहीं कर रहे। - प्रशासन की कसावट की कमी:
जब तक आयुक्त सख्ती नहीं दिखाते, ठेकेदार सड़कों को दुरुस्त नहीं करते। अभी तक किसी को मजबूर नहीं किया गया है।
सड़कों की जमीनी हकीकत – कहां कितनी खतरनाक हैं सड़कें?
- चेतकपुरी रोड:
महल गेट के पास जलभराव के कारण रोड पर बड़े गड्ढे। ये बसंत विहार और विजयनगर को जोड़ती है। - न्यू हाईकोर्ट रोड:
बारिश के पानी से भरी सड़क पर दोपहिया वाहन बंद हो रहे हैं। - मानिक विलास कॉलोनी:
आरओवी के नीचे गड्ढे में ई-रिक्शा पलटने से यात्री घायल। - हरीशंकरपुरम:
ग्लोरी स्कूल की ओर जाने वाली सड़क पर गहरे और कई गड्ढे। - ट्रांसपोर्ट नगर:
हर 100 मीटर पर 50 से अधिक गड्ढे, रोज वाहन पलट रहे हैं।
संसाधनों की भारी कमी, काम ठप
- मिक्सर प्लांट बंद:
पेच रिपेयरिंग के लिए निगम के दो मिक्सर प्लांट (रामदास घाटी व बहोड़ापुर) बंद हैं। - पोट होल मशीनें बेकार:
दो मशीनें हैं, लेकिन सड़क सूखने तक ये उपयोग में नहीं लाई जा सकतीं। - सिर्फ एक रोड रोलर:
66 वार्डों के लिए केवल एक रोड रोलर है, वो भी पुराना और बार-बार खराब होता है।
अब क्या होगा?
ग्वालियर की जनता इस समय सड़कों की बदहाली से रोजाना जूझ रही है। प्रशासन के पास न पर्याप्त फंड है, न संसाधन, और न ही इच्छाशक्ति। गारंटी की सड़कों को भी मरम्मत नहीं किया जा रहा, जिससे ठेकेदारों की जवाबदेही पर सवाल उठते हैं।
अब जरूरी है कि प्रशासन सक्रिय हो, ड्रेनेज सिस्टम की स्थायी मरम्मत की जाए, और ठेकेदारों पर सख्त कार्रवाई हो। वरना, ग्वालियर की सड़कों पर चलना लोगों के लिए जानलेवा साबित होता रहेगा।





