ग्वालियर में गुरुवार सुबह हुई तेज बारिश ने एक बार फिर नगर निगम की तैयारियों की पोल खोल दी। शहर के निचले इलाकों से लेकर पॉश कॉलोनियों तक में पानी भर गया, जिससे लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
जागृति नगर में कमर तक पानी, लोग दिनभर रहे बेहाल
सबसे ज्यादा खराब स्थिति लक्ष्मीगंज के जागृति नगर में देखने को मिली, जहां पानी कमर से ऊपर तक भर गया।
- घरों के किचन तक पानी घुस गया
- बर्तन पानी में तैरते नजर आए
- करीब 50 घरों में खाना तक नहीं बन पाया
- बच्चे भूखे-प्यासे रहे और लोग काम पर नहीं जा सके
चौंकाने वाली बात यह रही कि मौके पर न तो कोई पार्षद पहुंचा, न ही नगर निगम का कोई जिम्मेदार अधिकारी।
रॉक्सी अंडरब्रिज में फंसी कार, राहगीरों ने बचाई जान
रॉक्सी पुल अंडरब्रिज में भी जलभराव ने लोगों को मुसीबत में डाल दिया।
एक कार चालक अपनी पत्नी और बच्चे के साथ अंडरब्रिज पार कर रहा था, तभी पानी के बीच उसकी कार बंद हो गई। धीरे-धीरे कार के अंदर पानी भरने लगा, जिससे तीनों की जान पर खतरा मंडराने लगा।
तभी कुछ राहगीरों ने साहस दिखाया—
- एक युवक ने पुल के ऊपर से कूदकर कार की छत पर पहुंचा
- सभी तीनों लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया
यह कोई पहली बार नहीं है, हर साल इसी अंडरब्रिज में यही स्थिति बनती है, लेकिन प्रशासन मौन रहता है।
शहरभर में जलभराव: पॉश कॉलोनियां भी प्रभावित
तेज बारिश का असर सिर्फ बस्तियों तक ही सीमित नहीं रहा। शहर की अन्य कई कॉलोनियों और इलाकों में भी भारी जलभराव देखने को मिला।
प्रभावित क्षेत्रों में शामिल हैं:
- शताब्दीपुरम
- आदित्यपुरम
- डीडी नगर
- लधेड़ी
- श्रीनगर कॉलोनी
- नारायण विहार
- सिरोल रोड
- रॉक्सी पुल
- न्यू जीवाजी नगर
- सिटी सेंटर
इन इलाकों में घुटनों से लेकर कमर तक पानी भर गया, जिससे सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त हो गया।
सवालों के घेरे में नगर निगम
हर साल बारिश के साथ ग्वालियर में जलभराव आम बात बन चुका है, लेकिन नगर निगम की ओर से कोई स्थायी समाधान नहीं किया गया है।
- नाले समय पर साफ नहीं होते
- ड्रेनेज सिस्टम फेल है
- इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम सक्रिय नहीं
लोगों को अब सवाल करने की जरूरत है कि बारिश होते ही शहर डूब क्यों जाता है?
इंतज़ार नहीं, बदलाव चाहिए
ग्वालियर में एक बार फिर बारिश ने यह साबित कर दिया कि शहर को जलभराव से बचाने की कोई ठोस योजना नहीं है। लोगों की परेशानी और खतरे के बीच प्रशासन की निष्क्रियता चिंता का विषय है। समय आ गया है कि जल निकासी के स्थायी समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं, ताकि हर साल की यह स्थिति दोहराई न जाए।





