दिल्ली-एनसीआर और उत्तर प्रदेश के अन्य हिस्सों से ग्रेटर नोएडा की कनेक्टिविटी को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है। ग्रेटर नोएडा वेस्ट से एनएच-9 तक चार किलोमीटर लंबी एलिवेटेड रोड का निर्माण इस दिशा में एक महत्वपूर्ण योजना है, जिससे क्षेत्रीय ट्रैफिक जाम से राहत मिलने की उम्मीद है।
बढ़ेगी दिल्ली, गाजियाबाद और मेरठ से कनेक्टिविटी
ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट को दिल्ली, गाजियाबाद और मेरठ से जोड़ने के लिए नई एलिवेटेड रोड योजना तैयार की गई है। इस रोड का निर्माण मूर्ति चौक (सेक्टर-4, ग्रेटर नोएडा वेस्ट) से शुरू होकर शाहबेरी और क्रॉसिंग रिपब्लिक होते हुए दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे (DME) और एनएच-9 से जोड़ा जाएगा।
प्रमुख विशेषताएं:
- लंबाई: 4 किलोमीटर
- लेन: 6 लेन
- आरंभिक बिंदु: मूर्ति चौक, सेक्टर-4
- समापन बिंदु: एनएच-9 होते हुए DME से कनेक्टिविटी
इस प्रोजेक्ट से ग्रेटर नोएडा, नोएडा एयरपोर्ट (जेवर), गाजियाबाद और दिल्ली के बीच ट्रैफिक को सुचारू रूप से प्रवाहित करने में मदद मिलेगी।
क्यों ज़रूरी है यह एलिवेटेड रोड?
ट्रैफिक जाम से जूझता इलाका
ग्रेटर नोएडा से दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे तक का करीब 8 किलोमीटर का क्षेत्र रोजाना जाम का सामना करता है। खासकर नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के खुलने के बाद, ट्रैफिक में और इजाफा होने की आशंका है।
व्यस्त आवासीय क्षेत्र
- ग्रेटर नोएडा वेस्ट और गाजियाबाद में स्थित हाईराइज अपार्टमेंट, जैसे क्रॉसिंग रिपब्लिक और शाहबेरी, तेजी से आबाद हो रहे हैं।
- क्षेत्र में नए रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट्स के चलते यातायात दबाव बढ़ता जा रहा है।
प्राधिकरण की योजना और कार्रवाई
पहले से चल रही परियोजनाएं:
- चिल्ला एलिवेटेड रोड और नोएडा एक्सप्रेसवे बाइपास का निर्माण जारी है।
- गौर चौक के पास ताज एक्सप्रेसवे पर एक अंडरपास भी तैयार किया जा रहा है।
- शाहबेरी से इटेडा राउंडअबाउट तक 3 किलोमीटर का सड़क चौड़ीकरण किया गया है।
नई परियोजना की स्थिति:
- 400 करोड़ रुपये की लागत वाली एलिवेटेड रोड योजना को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने मार्च में मंजूरी दी है।
- एनएचएआई के सहयोग से इसका क्रियान्वयन होगा।
- विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) की तैयारी में 4–5 महीने का समय लग सकता है।
भविष्य की संभावनाएं: जनसंख्या और कनेक्टिविटी
ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के सीईओ रवि कुमार एनजी ने बताया कि आने वाले 10 वर्षों में इस क्षेत्र की आबादी 15 से 20 लाख तक पहुंच सकती है। ऐसे में हाई-स्पीड कनेक्टिविटी जरूरी हो जाती है।
फाइनेंसिंग को लेकर चर्चा:
- प्राधिकरण ने इस परियोजना को ‘रीजनल कनेक्टिविटी रोड’ के रूप में वर्गीकृत किया है।
- फंडिंग के लिए जीएनआईडीए, नोएडा अथॉरिटी और यीडा के बीच सहयोग का प्रस्ताव है।
- हालांकि, सूत्रों के अनुसार नोएडा और यमुना प्राधिकरण इससे दूरी बना सकते हैं क्योंकि यह जीएनआईडीए के अधिकार क्षेत्र में आती है।
निष्कर्ष: विकास और सुविधा की दिशा में मजबूत कदम
ग्रेटर नोएडा और उसके आसपास के क्षेत्रों में बढ़ती आबादी और ट्रैफिक को देखते हुए यह एलिवेटेड रोड समय की मांग है। इस परियोजना से:
- यात्रा समय में कमी आएगी,
- दिल्ली, गाजियाबाद और मेरठ से बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी,
- और नोएडा एयरपोर्ट की ओर जाने वाले यात्रियों को भी सुविधा होगी।
यह सड़क न केवल एक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है, बल्कि ग्रेटर नोएडा के भविष्य का मार्ग प्रशस्त करने वाला कदम है।