BY: Yoganand Shrivastva
उत्तराखंड: चारधामों में शामिल पवित्र बद्रीनाथ धाम के कपाट आज श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु खोल दिए गए। कपाटोद्घाटन के शुभ अवसर पर मंदिर को भव्य रूप से फूलों से सजाया गया और भगवान बद्रीविशाल के मंदिर पर पुष्पवर्षा की गई। इस शुभ घड़ी में भक्तों ने विधिवत पूजा-अर्चना कर भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त किया।
बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र तीर्थों में गिना जाता है। इससे पहले गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट पहले ही खुल चुके हैं, और अब बद्रीनाथ के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा विधिवत आरंभ हो गई है।
बद्रीनाथ मंदिर: मई से नवंबर तक दर्शन हेतु खुला
अलकनंदा नदी के किनारे स्थित यह मंदिर नर और नारायण पर्वतों के मध्य विराजमान है। बद्रीनाथ धाम को ‘धरती का बैकुंठ’ कहा जाता है, क्योंकि यहां भगवान विष्णु स्वयं विराजते हैं। मंदिर केवल गर्मियों के महीनों—मई से नवंबर—तक तीर्थयात्रियों के लिए खुला रहता है। सर्दियों में जब भारी बर्फबारी के चलते कपाट बंद हो जाते हैं, तब भगवान की पूजा जोशीमठ स्थित नरसिंह मंदिर में की जाती है। विशेष बात यह है कि कपाट बंद होने से पहले मंदिर में जो दीपक प्रज्ज्वलित किया जाता है, वह लगातार छह महीने तक जलता रहता है।
धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा पवित्र स्थल
बद्रीनाथ मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा शालीग्राम से निर्मित चतुर्भुज स्वरूप में की जाती है। यह स्थल उनके नर-नारायण अवतार की तपोभूमि भी माना जाता है। जनमान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से बद्रीनाथ की यात्रा करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। एक कहावत प्रसिद्ध है—“जो जाए बदरी, वो ना आए ओदरी,” यानी इस धाम की यात्रा पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति दिला सकती है।
चारधाम यात्रा का शुभारंभ
इस वर्ष अक्षय तृतीया के दिन गंगोत्री और यमुनोत्री धामों के कपाट खुलने के साथ चारधाम यात्रा का आरंभ हुआ था। 2 मई को केदारनाथ धाम के कपाट खोले गए और अब बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ यह यात्रा पूर्ण रूप से प्रारंभ हो गई है। उत्तराखंड के धार्मिक पर्यटन को यह एक महत्वपूर्ण गति देने वाला अवसर माना जा रहा है।
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