ध्रुव राठी का पहलगाम वीडियो: आतंकवाद पर सवाल या सियासी साजिश?

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ध्रुव राठी का पहलगाम वीडियो

पहलगाम आतंकी हमला 2025: जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में 22 अप्रैल 2025 को हुए भयानक आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई। इस घटना के बाद सोशल मीडिया और न्यूज़ चैनलों पर चर्चा गरम है, लेकिन एक यूट्यूबर, ध्रुव राठी, का इस हमले पर बनाया गया वीडियो विवादों के केंद्र में आ गया है। आलोचकों का दावा है कि ध्रुव का वीडियो आतंकवाद की निंदा करने के बजाय केंद्र सरकार को निशाना बनाता है और कांग्रेस व पाकिस्तान की प्रचार रणनीति को बढ़ावा देता है। आइए, इस पूरे मामले को गहराई से समझते हैं, जैसे ध्रुव राठी खुद अपने वीडियोज में समझाते हैं—तथ्यों, डेटा और तर्कों के साथ।


पहलगाम आतंकी हमला: क्या हुआ था?

22 अप्रैल 2025 को पहलगाम, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, में आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने हमला किया। यह संगठन लश्कर-ए-तैयबा का एक हिस्सा है, जिसे पाकिस्तान का समर्थन प्राप्त है। इस हमले में 26 पुरुष मारे गए, जिनमें से एक मुस्लिम, एक ईसाई और बाकी हिंदू थे। हमलावरों ने कथित तौर पर लोगों की धार्मिक पहचान पूछकर उन्हें निशाना बनाया।

  • एक महिला ने बताया: एक आतंकी ने उसके पति को गोली मारने से पहले कहा कि वह “मुस्लिम नहीं दिखता।”
  • एक अन्य गवाह ने कहा: उसके पिता को इस्लामी आयतें पढ़ने को कहा गया, और जब वह नहीं पढ़ पाए, तो उनकी हत्या कर दी गई।

ये बयान साफ तौर पर दिखाते हैं कि हमला धार्मिक आधार पर किया गया। लेकिन ध्रुव राठी के वीडियो ने इस पहलू को कमतर करके सरकार की नाकामी पर ज्यादा फोकस किया। आइए, उनके वीडियो के तीन मुख्य बिंदुओं को समझते हैं।


1. केंद्र सरकार पर निशाना: खुफिया तंत्र की नाकामी?

ध्रुव राठी ने अपने वीडियो में आतंकियों की निंदा करने के बजाय बीजेपी सरकार को कटघरे में खड़ा किया। उनका दावा है कि यह हमला खुफिया और सुरक्षा तंत्र की नाकामी का नतीजा है।

  • उनके तर्क:
    • द हिंदू अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हमले में शामिल दो आतंकी—अनंतनाग का आदिल गुरी और पुलवामा का अहसन—भारतीय नागरिक थे, जो 2018 में पाकिस्तान गए और वहां कट्टरपंथी बनाए गए।
    • टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार, अप्रैल के पहले हफ्ते में आतंकियों के होटलों में घूमने की खबरें थीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
    • ध्रुव ने 2019 के पुलवामा हमले की तुलना की, जिसमें भी खुफिया नाकामी की बात सामने आई थी।

ध्रुव का कहना है कि केंद्र सरकार, जो सेना, BSF, और सीमाओं को नियंत्रित करती है, को इस हमले की पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। वह सवाल उठाते हैं कि इतने भारी हथियारों के साथ विदेशी आतंकी भारत में कैसे घुस जाते हैं? क्या हमारे खुफिया तंत्र में कोई कमी है?

हमारा विश्लेषण: खुफिया नाकामी का सवाल जायज है, लेकिन आतंकवाद एक जटिल समस्या है। क्या सिर्फ केंद्र सरकार को दोष देना सही है, या हमें सीमा पार से होने वाले आतंकवाद के मूल कारणों पर भी बात करनी चाहिए?


2. मीडिया और सेना की भर्ती पर सवाल

ध्रुव ने अपने वीडियो के दूसरे हिस्से में मीडिया और सेना की भर्ती पर निशाना साधा।

मीडिया की आलोचना

  • ध्रुव ने रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी को टारगेट किया। अर्णब ने कथित तौर पर सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाए कि आर्टिकल 370 को हटाने की वैधता पर बहस करने की जरूरत नहीं थी, क्योंकि यह सुरक्षा से ध्यान हटाता है।
  • ध्रुव ने अर्णब के पुराने व्हाट्सएप चैट का जिक्र किया, जिसमें वह कथित तौर पर पुलवामा हमले को सबसे पहले कवर करने पर खुशी जता रहे थे। ध्रुव का कहना है कि मीडिया सनसनी फैलाने में व्यस्त है, न कि असल मुद्दों पर बात करने में।

सेना में भर्ती की कमी

  • ध्रुव ने रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि भारतीय सेना में 1 लाख से ज्यादा रिक्तियां हैं, जिनमें 8,400 अधिकारी और 92,000 सैनिक शामिल हैं।
  • टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड-19 के दौरान कोई नई भर्ती नहीं हुई, और अब सरकार अगले तीन साल में 2 लाख सैनिकों की कटौती करने की योजना बना रही है, ताकि वेतन और पेंशन का खर्च कम हो।

हमारा विश्लेषण: सेना में रिक्तियां एक गंभीर मुद्दा हैं, लेकिन क्या यह हमले का मुख्य कारण था? ध्रुव का यह तर्क सुरक्षा बलों की तैयारियों पर सवाल उठाता है, लेकिन क्या यह आतंकवाद की जड़—पाकिस्तान समर्थित कट्टरपंथ—से ध्यान हटाता है?


3. “आतंक का कोई धर्म नहीं”: एक विवादास्पद नैरेटिव?

ध्रुव के वीडियो का तीसरा हिस्सा सबसे ज्यादा विवादास्पद है। वह कहते हैं कि “आतंक का कोई धर्म नहीं” और सांप्रदायिक एकता पर जोर देते हैं।

  • उनके तर्क:
    • जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने हमले की निंदा की और आतंकियों को “पशु” और ” अमानव” बताया।
    • कश्मीर में बंद और कैंडल मार्च के जरिए लोगों ने एकजुटता दिखाई।
    • जमात-उलेमा-ए-हिंद और ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन जैसे मुस्लिम संगठनों ने हमले की निंदा की। इमाम उमर अहमद इलियासी ने कहा कि 5.5 लाख मस्जिदों में जुमे की नमाज में आतंकवाद विरोधी संदेश दिया जाएगा।
    • यूएई, सऊदी अरब, बांग्लादेश, और कतर जैसे मुस्लिम देशों ने भी हमले की निंदा की।

ध्रुव का कहना है कि आतंकी धार्मिक नफरत फैलाना चाहते हैं, और हमें उनके जाल में नहीं फंसना चाहिए। लेकिन आलोचकों का कहना है कि ध्रुव ने हमले के धार्मिक मकसद को कम करके दिखाया। जब साफ है कि आतंकियों ने हिंदुओं को निशाना बनाया, तो “आतंक का कोई धर्म नहीं” कहना क्या सही है?

हमारा विश्लेषण: सांप्रदायिक एकता जरूरी है, लेकिन क्या धार्मिक कट्टरपंथ की सच्चाई को नजरअंदाज करना उचित है? ध्रुव ने बीजेपी पर भी हमला बोला, उनका कहना है कि पार्टी इस हमले का इस्तेमाल सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने के लिए कर रही है। लेकिन क्या बीजेपी की पोस्ट, जिसमें कहा गया कि “उन्होंने धर्म पूछा, जाति नहीं,” सिर्फ तथ्य बयान कर रही थी, या यह वाकई में विभाजनकारी थी?


ध्रुव राठी का वीडियो: प्रचार या तथ्य?

आलोचकों का कहना है कि ध्रुव का वीडियो कांग्रेस और पाकिस्तान के प्रचार को बढ़ावा देता है। वे इसे आतंकवाद समर्थक तक कह रहे हैं। लेकिन क्या यह इतना सरल है? आइए, दोनों पक्षों को देखें:

  • आलोचकों का पक्ष:
    • ध्रुव ने आतंकियों की निंदा में ज्यादा समय नहीं बिताया, बल्कि सरकार और मीडिया पर हमला किया।
    • “आतंक का कोई धर्म नहीं” कहकर उन्होंने हमले के धार्मिक मकसद को कम करके दिखाया।
    • बीजेपी की आलोचना करते हुए उन्होंने पार्टी पर सांप्रदायिकता फैलाने का आरोप लगाया, लेकिन क्या यह खुद एकतरफा नैरेटिव नहीं है?
  • ध्रुव का पक्ष:
    • ध्रुव ने तथ्यों और रिपोर्ट्स का इस्तेमाल किया, जैसे द हिंदू और टेलीग्राफ की खबरें।
    • उनका फोकस सरकार की जवाबदेही और सुरक्षा खामियों पर था, जो एक जायज सवाल है।
    • सांप्रदायिक एकता की बात करके उन्होंने नफरत को रोकने की कोशिश की।

निष्कर्ष: हमें क्या करना चाहिए?

पहलगाम हमला एक दुखद घटना थी, जिसने हमें आतंकवाद के खतरे की याद दिलाई। लेकिन इस तरह की घटनाओं के बाद हमें क्या करना चाहिए? क्या हमें सिर्फ सरकार को दोष देना चाहिए, या आतंकवाद की जड़—कट्टरपंथ और सीमा पार की साजिश—पर भी ध्यान देना चाहिए?

ध्रुव राठी का वीडियो तथ्यों और आलोचना का मिश्रण है, लेकिन क्या यह पूरी कहानी बयान करता है? हमें चाहिए कि हम हर दृष्टिकोण को सुनें, तथ्यों की जांच करें, और खुद से सवाल करें कि असल समस्या क्या है।

आप क्या सोचते हैं? क्या ध्रुव राठी का वीडियो एकतरफा था, या इसमें कुछ सच्चाई थी? कमेंट में अपनी राय जरूर बताएं।

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