रिपोर्ट- सोमनाथ मिश्रा
जबलपुर: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की एकलपीठ, माननीय न्यायमूर्ति मनिंदर एस. भट्टी ने धनपुरी नगर पालिका क्षेत्र के दैनिक वेतनभोगी सफाईकर्मियों को बड़ी राहत देते हुए उनकी याचिका का निपटारा कर महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं। अदालत ने कहा कि यदि सफाईकर्मी 15 दिनों के भीतर नया अभ्यावेदन प्रस्तुत करते हैं, तो मुख्य नगर पालिका अधिकारी, धनपुरी (जिला–शहडोल) को उस पर 60 दिनों के भीतर विस्तृत और तर्कसंगत फैसला देना होगा।
इसके साथ ही न्यायालय ने निर्देश दिया कि यदि कर्मचारी अपने दावे में वैध और पात्र पाए जाते हैं, तथा कोई वैधानिक बाधा नहीं है, तो अगले 30 दिनों के भीतर उन्हें लाभ दिया जाना चाहिए—और उन्हें बार-बार न्यायालय का रुख करने के लिए मजबूर न किया जाए।

बिना सुरक्षा उपकरणों के जोखिम भरा काम, याचिकाकर्ता दलित समुदाय से आने वाले सफाईकर्मियों ने न्यायालय को बताया कि वे कई वर्षों से नालियाँ, शौचालय, सीवर, सेप्टिक टैंक की सफाई लगातार कर रहे हैं। उनके अनुसार वे अब भी बिना किसी सुरक्षा उपकरण के हाथों से मानव मल और कचरा उठाने को मजबूर हैं। इससे दुर्घटनाओं, संक्रमण और गंभीर बीमारियों का खतरा हमेशा बना रहता है।
अतिरिक्त कर्मचारी” बताकर हटाए जाने का आरोप
याचिका में आरोप लगाया गया कि धनपुरी नगर पालिका के CMO ने बिना किसी लिखित आदेश या सुनवाई के उन्हें “अतिरिक्त कर्मचारी” बताकर साप्ताहिक मास्टर रोल से हटाया, ठेकेदार के सुपुर्द कर दिया, जिससे उनकी दैनिक मजदूरी रुक गई और आर्थिक संकट गहरा गया।
यह कदम, याचिकाकर्ताओं के अनुसार, इसलिए उठाया गया ताकि भविष्य में उनके नियमितीकरण का हक न बन सके, जबकि सफाई कार्य नगर पालिका का स्थायी और अनिवार्य दायित्व है।
राष्ट्रपति के भाषण का भी उल्लेख
याचिकाकर्ताओं ने महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के 19 सितंबर 2024 को उज्जैन में दिए गए भाषण का हवाला भी दिया, जिसमें उन्होंने सफाई मित्रों को “राष्ट्र-निर्माता योद्धा” कहा था। इसके बावजूद स्थानीय निकायों में उनका शोषण जारी रहने को उन्होंने अनुच्छेद 14, 16, 17, 21, 23 का उल्लंघन, मैनुअल स्कैवेंजर्स रिहैबिलिटेशन एक्ट, 2013 की अवमानना, तथा सफाई कर्मचारी आयोग अधिनियम की मंशा के विपरीत बताया।




