रिपोर्टर: विष्णु गौतम
दुर्ग शहर में इस बार कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने छत्तीसगढ़ी लोक पर्व हरेली तिहार का आयोजन बड़े उत्साह व उल्लास के साथ किया। इस अवसर पर कृषि उपकरणों और पशुधन की पूजा अर्चना की गई, जो राज्य की कृषिप्रधान संस्कृति का प्रतीक है। इस सांस्कृतिक आयोजन में पारंपरिक गीत‑नृत्य, लोक खेल और व्यंजनों ने त्योहार को और भी जीवंत बना दिया।
सम्मानित पूर्व विधायक अरुण वोरा, किसान नेता राजेंद्र साहू, पूर्व महापौर धीरज बाकलीवाल सहित पार्टी के कई पदाधिकारी व कार्यकर्ता उत्सव में शामिल हुए। उन्होंने इस पर्व के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह छत्तीसगढ़ी संस्कृति की पहचान को संरक्षित रखने का जतन है।
कांग्रेस नेताओं ने विशेष रूप से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उस पहल की सराहना की, जब उन्होंने इस लोक पर्व को सरकारी अवकाश घोषित करके अधिक व्यापक रूप से मनाए जाने का मार्ग प्रशस्त किया। इससे न सिर्फ त्योहार की गरिमा बढ़ी, बल्कि आम जनता में भी इसे मनाने की रुचि और बढ़ी है।
कार्यक्रम के दौरान उपस्थित सभी लोगों ने छत्तीसगढ़ी पारंपरिक व्यंजनों जैसे चीला, फरा, ठेठरी और खुरमी का स्वाद भी लिया। साथ ही भौंरा और गेड़ी जैसे पारंपरिक लोक खेलों का आनंद मन-भावन रूप में लिया गया। विशेष रूप से स्थानीय युवा और बच्चे गेड़ी पर चला कर पारंपरिक खेलों के प्रति अपनी लगन दिखा रहे थे। यह दर्शाता है कि यह लोक पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सामाजिक मेल-जोल और सांस्कृतिक आत्मजागरण का अवसर भी है।
कांग्रेस पदाधिकारियों ने जोर देकर कहा कि हरेली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि यह छत्तीसगढ़ की कृषि‑संस्कृति और सामाजिक एकजुटता का प्रतीक है। उन्होंने इस पर्व को और मजबूत करने व प्रदेश में लोक संस्कृति के प्रचार‑प्रसार में कांग्रेस की भूमिका पर भी बल दिया।